जैसा की हमने अपनी पिछली ख़बरों में बताया था कि पिथौरागढ़ कॉलेज के छात्र लगातार सोलहवें दिन किताब और शिक्षकों की मांग को लेकर कॉलेज परिसर में धरना दे रहे हैं ऐसे में पिथौरागढ़ प्रशासन ने छात्र संघ को एक पत्र भेजकर वार्ता हेतु बुलाया.
पत्र की भाषा न केवल निंदनीय है बल्कि हास्यास्पद भी है. किताब और शिक्षकों की मांग कर रहे पिथौरागढ़ छात्र संघ को लिखे पत्र में प्रशासन द्वारा लिखा गया है कि
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ में छात्र छात्राओं द्वारा कतिपय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, जो महाविद्यालय के हित में उचित नहीं है.
जो छात्र सोलह दिनों से धरने पर बैठे हैं उनकी मांग पर प्रशासन लिख रहा है कतिपय मांग. अगर पन्द्रह दिनों से पिथौरागढ़ जिला प्रशासन को अपने ऑफिस के बाहर और उससे कुछ किमी दूरी पर हो रही मांग का पता नहीं है तो उसे मुनस्यारी, धारचुला, झुलाघाट आदि की कितनी जानकारी होती होगी.
मांग को लेकर छात्र पिछले सोलह दिन से छात्र धरने पर बैठे हैं जबकि यह मांग पिछले साल अक्टूबर से की जा रही हैं. जिस संबंध में जिलाधिकारी के कार्यालय में ज्ञापन भी दिये गये हैं.
आज 11 बजे बुलाई गयी इस बैठक का छात्र संघ ने बहिष्कार किया है. छात्र संघ की ओर से एक प्रेस नोट जारी कर कहा गया है कि
हम पत्र की भाषा पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हैं. जिला प्रशासन धरना स्थल पर आकर बातचीत करे. उन्होंने पांच छात्रों का दल बुलाया है हम चाहते हैं कि सभी के सामने खुले मंच पर बातचीत हो.
छात्रों ने आज भी अपना प्रदर्शन जारी रखा और जिलाधिकारी कार्यालय से भेजे गये पत्र की प्रतियां जला दी.
किताबों और शिक्षकों के लिये चल रहे पिथौरागढ़ के छात्रों को अब देशभर से समर्थन भी मिलना शुरु हो गया है.
– काफल ट्री डेस्क
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…