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अल्मोड़ा में मोहर्रम के ताजिये – जयमित्र सिंह बिष्ट के फोटो

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी अल्मोड़ा में मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजियों का निर्माण किया गया. लाला बाजार, भियारखोला, कचहरी बाजार, थाना बाजार, नियाजगंज की समितियों की ओर कलात्मक ताजियों का निर्माण किया गया.

मोहर्रम के दिन अल्मोड़ा के नियाजगंज से ताजियों का जुलूस निकाला गया यह जुलूस नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ थाना बाजार पहुंचा. इस दौरान नियाजगंज, कचहरी बाजार व थाना बाजार में अखाड़े के तहत करतब दिखाए गए.

कहा जाता है कि ताज़िये हजरत इमाम हुसैन की करबला की समाधि की झलकियां हैं जिसका प्रचलन भारत में 1338 में तैमूरलंग बादशाह के शासन के दौरान शुरू हुआ.

अल्मोड़ा में पिछले कई दशकों से मुहर्रम के अवसर पर ताज़िये बनाये जाते हैं. ये ताज़िये बेहद कलात्मक और सुंदर होते हैं जिनके अंदर तरह-तरह लाइट्स भी लगायी जाती है. शाम के समय में इन ताज़ियों की परेड शहर में निकाली जाती है. अंधेरे में ताज़ियों के अंदर लगी लाइट्स चकमनी शुरू हो जाती हैं जो एक अद्भुत वातावरण की सर्जना कर देती हैं. इन ताज़ियों को करबला में ले जाकर सुपुर्देखाक करके दिया जाता है.

सभी तस्वीरें काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी जयमित्र सिंह बिष्ट द्वारा ली गई हैं.

फोटो : जयमित्र सिंह बिष्ट
फोटो : जयमित्र सिंह बिष्ट
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जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

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Girish Lohani

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