सोर घाटी प्रकृति का एक उपहार है और इस उपहार का एक अनन्य नगीना हैं यहां के रीति-रिवाज और परम्परायें.
इन्हीं परम्पराओं में एक है चैतोल का मेला. जो हर वर्ष सोर घाटी में मनाया जाता है. इस वर्ष भी 18 और 19 अप्रैल को चैतोल मेला मनाया गया.
इस मेले के विषय में यह मान्यता है कि इस दिन शिव अपनी बहनों को भिटौली देने स्वयं हिमालय से उतरते हैं.
22 गावों में होने वाला यह उत्सव न केवल क्षेत्र की दैवीय आस्था दिखाता है बल्कि प्रकृति से अपना प्रेम भी दिखलाता है.
वैशाख माह की चतुर्दशी को दोपहर छात का निर्माण शुरू होता है. छात में प्राण प्रतिष्ठा बिंण गांव के मध्य होती है. देवता के भंडार की देखरेख बिंण का भट परिवार करता है.
पूजा अर्चना शंख ध्वनि कर छात के प्रस्थान का आह्वान करता है.जिसके साथ ही शुरू हो जाता है दो दिन का चैतोली मेला. यह दिन में लगभग तीन से साढे तीन बजे के आस-पास शुरु होता है. चैतोल मेले के विषय में विस्तृत जानकारी के लिये यह लेख पढ़े :
चैतोल पर्व: 22 गांवों में बहनों को भिटौली देने आते हैं देवता
वर्ष 2019 में चैतोल मेले के पहले दिन की तस्वीरें देखिये :
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