समाज

यूं ही कोई पहाड़ी अपना घर नहीं छोड़ता

एक पहाड़ी अपना गांव अपनों के बेहतर भविष्य के लिए छोड़ता है. समतल और सरल दिखने वाले मैदानों में पहाड़ी हाड़-तोड़ मेहनत करता है और जब उसे पक्का यकीन हो जाता है कि मैदान में उसके अपनों का भविष्य पहाड़ से अधिक सुरक्षित है तो वह उन्हें भी साथ बुला लेता है.
(People of Uttarakhand)

कोई कैसे अपना गांव छोड़ने को राजी न होगा जब बच्चे की किलकारी की उम्मीद बच्चे की मौत के गम में तब्दील हो जाये. एक पहाड़ी तब तक अपना गांव नहीं छोड़ता जब तक कि गांव उससे चीख़कर नहीं कहता कि यहां कुछ नहीं रखा. बरसों मैदान में गुजारने के बाद भी पहाड़ियों के जीवन में गांव के निशान कभी नहीं छूटते.

महानगरों में ऊँची बिल्डिंग के फ़्लैट की देहली में पर बने ऐपण अपने गांव के निशान ही तो हैं. घी त्यार और हरेले के दिन महानगरों में रहने वाले पहाड़ियों के नाश्ते में बनने वाली खीर परतों से ढके हुए वही निशान तो हैं जिन्हें लेकर पहाड़ी अपने गांव से न जाने कितने-कितने दूर रहते हैं.
(People of Uttarakhand)

पहाड़ियों के ढोल-दमाऊ की गूंज जब भी देश-विदेश में होती है तो उसमें एक बड़ा योगदान वहां रहने वाले पहाड़ियों का रहता है. मैदानी क्षेत्रों में बसे पहाड़ी इकठ्ठा होकर जो समा बांधते हैं वह देखते बनता है. मैदानी क्षेत्रों में होने वाले पहाड़ियों के आयोजनों में उत्साह तो दिखता साथ में दिखती है पहाड़ छोड़ने की कसक. दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों तक में ऐसे अनेक मौके देखने को मिलते हैं जहां पहाड़ियों का यह उत्साह और पीड़ा साथ देखने को मिली.       

कोई ख़ुशी से अपना गांव नहीं छोड़ता परस्थितियां और बेहतर जीवन स्तर की तलाश घर छुड़वा देती है. मज़बूरी पहाड़ी से उसका घर और गांव जरूर छुड़वाती है पर जो नहीं छुड़ा पाती वह है उसकी ज़िन्दगी का पहाड़ीपन. मैदानों में रहने वाले पहाड़ियों पर हज़ारों फ़िक़रे कसे जा सकते हैं पर क्या कोई जानता है मैदानों में रहने वाले इन पहाड़ियों के दिल पर क्या बीतती है?
(People of Uttarakhand)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

4 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

1 week ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

1 week ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

1 week ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

1 week ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

1 week ago