यात्रा पर्यटन

पंचचूली पर्वत: नरेंद्र परिहार के फोटो

पंचचूली पर्वत पांच पर्वत चोटियों का समूह है. जिनके नाम पंचचूली 1 से पंचचूली 5 तक हैं. ये चोटियाँ उत्तराखंड के उत्तरी कुमाऊं हिस्से में है जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 6,312 मीटर से 6,904 मीटर तक है.

पंचचूली की चोटियों के शानदार दृश्य कुमाऊँ के अनेक स्थानों से देखे जा सकते हैं लेकिन दारमा घाटी के दांतू-दुग्तू गाँवों और मुनस्यारी से दिखाई देने वाली पंचचूली की चोटियों का नज़ारा अनुपम होता है. मुनस्यारी से इन की हवाई दूरी फकत आठ किलोमीटर है जबकि दांतू और दुग्तू गांव के इनके तकरीबन पैरों पर ही अवस्थित हैं.

महाभारत से जुड़ी असंख्य कथाएँ उत्तराखंड के इन सुदूर इलाकों के जनमानस में लम्बे दमे से गहरे पैठी हुई हैं और यहाँ की लोकथात में उसके अनेक निशान पाए जाते हैं. स्थानीय मान्यता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त हो जाने के बाद विषाद और दुःख से भरे पांडवों ने स्वर्गारोहण से पहले अपना भोजन इन्हीं चोटियों पर बनाया था. अर्थात ये चोटियाँ पांच पांडवों के पांच चूल्हे हैं जिनके नाम पर इन्हें पंचचूली नाम दिया गया.

पिछले कुछ समय से दारमा घाटी में सड़क पहुँच जाने से अब इन चोटियों का नजदीक से साक्षात्कार कर सकना आम जन के लिएआसानी से संभव हो गया है. हमारे घुमंतू साथी नरेंद्र परिहार ने हाल ही में दारमा घाटी की यात्रा की थी. दारमा घाटी के गांवों से सम्बंधित उनकी एक पोस्ट अभी कुछ ही दिन पहले हमने लगाई थी. आज देखिये उनके खींचे पंचचूली पर्वतमाला के कुछ शानदार फोटोग्राफ.

दारमा घाटी के तेरह गांव – नरेंद्र परिहार के फोटो

आदि बद्री मंदिर की तस्वीरें

उत्तराखंड के सबसे गरीब गांव से तस्वीरें

भगवती के शीतला स्वरूप को समर्पित पिथौरागढ़ का मां वरदानी मंदिर

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले नरेन्द्र सिंह परिहार वर्तमान में जी. बी. पन्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट में रिसर्चर हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago