Featured

नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी का उत्तराखण्ड कनेक्शन

देहरादून के जोगीवाला में एक स्कूल है – विवेकानंद स्कूल. इस स्कूल के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं गौरी मजूमदार. कलकत्ता की गौरी मजूमदार ने वहां के साउथ पॉइंट स्कूल में इस साल अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी को तब पढ़ाया था जब वे छोटे थे. एक इत्तफाक यह था कि वे अभिजीत बनर्जी की माँ की क्लासफैलो भी थीं. दूसरा इत्तफाक यह भी था कि गौरी मजूमदार के पति तापस मजूमदार भी अभिजीत बनर्जी भी जेएनयू में अभिजीत बनर्जी के प्रोफ़ेसर रहे थे. (Nobel Laureate Abhijit Bannerji Uttarakhand Connection)

वर्ष 2015 में अभिजीत बनर्जी ने विवेकानंद स्कूल के दो छात्रों – आर्यन थापा और अमन डबराल – की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया.

उल्लेखनीय है कि अभिजीत बनर्जी के युवा बेटे कबीर की असामयिक मृत्यु हो गयी थी जिसकी स्मृति में एक संस्था गठित की थी जो निर्धन विद्यार्थियों की सहायता करती रही है. (Nobel Laureate Abhijit Bannerji Uttarakhand Connection)

अभिजीत बनर्जी

आर्यन थापा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा – “मैं उन्हें दिल से धन्यवाद कहता हूं कि उन्होंने हमें अपने स्कूल में पढ़ने के लिए नई राह दिखाई. साथ ही मैं उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने पर बधाई भी देता हूं.  (Nobel Laureate Abhijit Bannerji Uttarakhand Connection)

अमन डबराल ने अभिजीत बनर्जी को याद करते करते हुए कहा – “मैं वर्ष 2015 में उनसे इसी स्कूल में मिला था. जिस तरह वे हमारी हमेशा सहायता करते रहे हैं उसके मैं हमेशा उनका ऋणी रहूँगा.”

ज्ञातव्य है कि अभिजीत बनर्जी को इस साल का पुरस्कार देते हुए नोबल समिति ने कहा था- “प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी का शोध विश्व स्तर पर गरीबी का निवारण करने की कोशिशों को मजबूत आधार देता है. पिछले दो दशकों में उनकी सोच, उनके नज़रिये ने विकास के अर्थशास्त्र को पूरी तरह से बदल दिया है. दुनिया में सत्तर करोड़ गरीब हैं. उनके अनुसन्धान ‘एक्सपेरिमेंटल एप्रोच टु एलीवेटिंग ग्लोबल पावर्टी’ से समाधान के क्रियात्मक रास्ते खुले हैं. उनकी किताब ‘पुअर इकोनॉमिक्स’ सिद्धांत,नीति, व्यवहार की कसौटी पर खरी उतरती है. जिसके 17 भाषाओँ में अनुवाद हो चुके हैं.”

निर्धनता पर नोबल पुरस्कार

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

14 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

14 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago