नीति आयोग ने स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्ट – हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथिंग कंडिशनली रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में उत्तराखंड सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है. नीति आयोग द्वारा जारी इस सूची में उत्तराखंड का स्थान 30वां है.
यह रिपोर्ट 2017-18 की है. रिपोर्ट के आने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार – राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उत्तराखंड में हर साल करीब चार सौ करोड़ का बजट आता है, लेकिन इसमें तीन सौ करोड़ ही खर्च हो पाता है. केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार एनएचएम का 85 प्रतिशत बजट खर्च करने के बाद ही शेष 15 प्रतिशत बजट दिया जाता है लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में खराब प्रदर्शन पर अब केंद्र बजट में कटौती करेगा.
नीति आयोग की रिपोर्ट में यह पाया गया कि प्रदेश में 2700 सृजित पदों में से मात्र 900 डॉक्टर ही तैनात हैं. रिपोर्ट में एनएचएम ने उत्तराखंड को -8 अंक दिये हैं.
उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. रिपोर्ट आने के बाद से विपक्ष रावत सरकार पर हावी हो रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि
राज्य बनने से पहले प्रदेश की चिकित्सा सुविधा काफी बेहतर थी. तब रानीखेत और कर्णप्रयाग में अच्छे डॉक्टर रहते थे. केवल पीएचसी और सीएचसी में डॉक्टरों की कमी को लेकर शिकायत रहती थी. आज स्थिति यह है कि सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर नहीं है.
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ ने कहा कि
स्वास्थ्य महकमा अफसरशाही के भरोसे चल रहा है. यह एक महत्वपूर्ण महकमा है जिसके लिए एक स्वतंत्र मंत्री होना चाहिए.
रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव नितेश झा ने कहा कि
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद अधिकारियों को समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट एक साल पुरानी है, इसके बाद प्रदेश में डॉक्टरों की नियुक्ति की गई. वर्तमान में 22 सौ डॉक्टर तैनात हैं. टीकाकरण में भी उत्तराखंड की प्रगति 103 प्रतिशत है. इसके बाद अंकों में कटौती की गई.
-काफल ट्री डेस्क
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