Featured

बनारस में पुलिस ने छापा मारकर अवैध कविता बनाने का कारखाना पकड़ा

बनारस. कल बनारस के लंका थाना क्षेत्र में पुलिस ने छापा मारकर अवैध कविता बनाने का कारखाना पकड़ा. मौके पर कविता बनाने की मशीन, और अनेक कवियों के फोटो युक्त रैपर भी बरामद किये गए. जिन पर फोटो के नीचे- ग़ालिब ने कहा था, हरिवंशराय बच्चन ने कहा था -लिखा था. मौके से एक छोटी मशीन व्यंग्य बनाने की भी बरामद हुई है. पुलिस के मुताबिक़ आरोपी की योजना कविताओं के बाद व्यंग्य बनाने की थी.
(New Satire by Priy Abhishek 2021)

इस सिलसिले में पटना निवासी अज्ञात रंजन को गिरफ़्तार किया गया है. वह घोंटा गली में कमरा किराये से लेकर रहता था. पुलिस को दिये गए बयान के मुताबिक़ युवक यहाँ पीएचडी करने आया था. इस दौरान उसकी दोस्ती कुछ कवियों से हो गई, जिनसे उसने कविता बनाना सीख लिया और बिना किसी प्रोफ़ेसर या वरिष्ठ कवि से लाइसेंस लिए कविता बनाने लगा.

पिछले कुछ दिनों से नगर में- प्रेमचंद ने कहा था- के नाम से कविताएँ बँट रही थीं. जिससे पुलिस को शक़ हुआ. शहरवासियों ने भी इस आशय की शिकायत की थी.

सूत्रों के अनुसार युवक ख़ुद भी ‘ठेलेश’ के नाम से कविताएँ लिखता था. छापे में कई खाली डिब्बे बरामद हुए हैं जिनमें से कुछ पर ठेलेश अंकित है.

रहवासियों ने बताया कि पहले सब सामान्य था, फिर घर से रात में कविता बनाने की आवाज़ें आनी लगी. पुलिस को अनेक बार शिकायत की. रहवासियों ने आरोप लगाया कि मौके से थानाप्रभारी से लेकर पुलिस-प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के फोटो वाले रैपर भी बरामद हुए थे, जिन्हें पुलिस ने मौके से गायब कर दिया. इससे सम्भावना है कि युवक कविता की सप्लाई ऊपर तक करता था.

मौके से कुछ कवियत्रियों के फोटो लगे रैपर और उनमें कुछ कविताएँ भी भरी मिली हैं. पुलिस कवयित्रियों से भी पूछताछ कर रही है. थानाप्रभारी ने बताया कि पुख़्ता सबूत मिलने पर कवयित्रीयों को भी आरोपी बनाया जायेगा. कवयित्रीयों ने इसका खण्डन किया और कहा कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है, उल्टा वे तो पीड़ित हैं. कुछ कवयित्रीयों ने बताया कि बरामद कविताएँ उनकी नहीं है. उनकी कविताएँ ‘सुनो’ से शुरू होती हैं, जबकि बरामद कविताएँ ‘देखो’ से लिखी गई हैं.

बिना सूचना के कवियों को कमरा देने के लिए पुलिस ने मकान मालिक को भी हिरासत में लिया है. मौके पर तीन-चार कवि और भी थे जो अंधेरे का लाभ उठा कर बीएचयू की तरफ़ भाग गए.

पुलिस ने आरोपी अज्ञात रंजन और अन्य अज्ञात के विरुद्ध काव्य अधिनियम की धारा आठ- दूसरों के नाम से कविता करना, धारा बारह- बिना वरिष्ठ कवि, प्रोफेसर के लाइसेंस के कविता करना, धारा बाइस- रिहायशी क्षेत्र में कविता करना के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया है.
(New Satire by Priy Abhishek 2021)

शहर में जगह-जगह कविताएँ बनाई जा रही हैं. गली-चौराहों पर धड़ल्ले से कविताएँ बिक रही हैं. ज्ञात हो कि पूर्व में भी दैनिक पिटपिट ने इस आशय की ख़बर को प्रकाशित किया था और इससे युवाओं के जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति चेताया था. 

यदि आपके घर में कोई कवि हो, या आप किसी कवि को किराए पर कमरा दे रहे हैं तो उसकी सूचना अपने निकटतम पुलिस स्टेशन में अवश्य दें.

इस सम्बंध में दैनिक पिटपिट ने पुलिस अधीक्षक से बात की. उन्होंने कहा कि आवासीय क्षेत्र में कविता बनाना एक संगीन जुर्म है. पुलिस अब ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ विशेष अभियान चलाकर धर-पकड़ करेगी.

“वह मुल्जिम नहीं था, जब तक कानून न था.
कानून ही बनाता है , हर शख्स को मुल्जिम..”
                                            -पुलिस अधीक्षक

(New Satire by Priy Abhishek 2021)

प्रिय अभिषेक

मूलतः ग्वालियर से वास्ता रखने वाले प्रिय अभिषेक सोशल मीडिया पर अपने चुटीले लेखों और सुन्दर भाषा के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में भोपाल में कार्यरत हैं.

इसे भी पढ़ें: इंद्रसभा के आमंत्रण षड्यंत्र होते हैं

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

2 days ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

6 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

6 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

1 week ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

1 week ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

1 week ago