पहाड़ समेत पूरे विश्व में हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिये इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है. पितृ पक्ष के सोलह दिनों में अपने मृत माता-पिता को याद किया जाता है इसे ही श्राद्ध कहा जाता है. (Navami Sraddha 2021)
सामान्यतः श्राद्ध वर्ष में दो बार होते हैं. एक उस तिथि को जिस दिन मृत्यु हुई हो और दूसरा पितृ पक्ष के दौरान. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पितृ पक्ष में ही हुई हो तो उसका वर्ष में केवल एक ही बार श्राद्ध होता है. पितृ पक्ष में ईजा का श्राद्ध नवमी के दिन होता है. (Navami Sraddha 2021)
पितृ पक्ष की नवमी के दिन, किसी भी मृत सुहागिन महिला का श्राद्ध किया जा सकता है. पितृ पक्ष में नवमी का दिन बेहद पावन दिन दिन है नवमी के श्राद्ध का महात्म्य बहुत ज्यादा है.
पितृ पक्ष में नवमी के श्राद्ध का महत्त्व इसलिये अधिक क्योंकि इस दिन परिवार की सभी मृत महिलाओं को याद किया जाता है और उनका श्राद्ध किया जाता है. माताओं के श्राद्ध के कारण ही इसे मातृ नवमी कहा जाता है. इसे सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है.
(Navami Sraddha 2021)
इस वर्ष पितृ पक्ष की नवमी 30 सितम्बर यानी आज के दिन है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ बीती रात 8 बजकर 29 मिनट से हो चुका है. यह तिथि 30 सितंबर दिन गुरुवार को रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगी.
पितृ पक्ष की एकादशी का दिन तिथि के हिसाब से मृतक हुए लोगों के अलावा सन्यासियों के श्राद्ध के लिए तय है. द्वादशी और त्रयोदशी पर भी तिथि के हिसाब से श्राद्ध होते हैं और इसके अलावा बच्चे का श्राद्ध त्रयोदशी को किया जाता है. दुर्घटना में मारे गये के लिए चतुर्दशी का दिन नियत है जबकि अमावस्या के दिन जिसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं.
कुमाऊं क्षेत्र की मान्यतानुसार श्राद्ध पक्ष में कौवे दिवंगत परिजनों के हिस्से का खाना खाते हैं. कौवे को यमराज का दूत माना जाता है जो श्राद्ध में आकर अन्न की थाली देखकर यम लोक जाता है और हमारे पितृ को श्राद्ध में परोसे गए भोजन की मात्रा और खाने की वस्तु को देखकर हमारे जीवन की आर्थिक स्थिति और सम्पन्नता को बतलाता है.
(Navami Sraddha 2021)
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