जिम कार्बेट बाघ अभयारण्य में बाघों की मौत की जांच सीबीआई कर रही है. उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अभयारण्य में पिछले पांच साल में हुई बाघों की मौत और उनके शिकार में अधिकारियों की कथित संलिप्तता की सीबीआई जांच के आदेश दिये थे. कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद इस बार प्रशासन और सरकार कोई कोताही नही बरतना चाहता है. राजाजी टाइगर रिजर्व और जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों, तेंदुओं के शिकार के मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है.
वन विभाग से सीबीआई ने बिंदुवार जानकारी मांगी है. इसके तहत किस दिन किस वन्यजीव पार्क में किस जानवर का शिकार हुआ या उसकी स्वाभाविक मौत हुई है. वन्यजीव की मौत के बाद विभागीय स्तर पर मुकदमा दर्ज करने की स्थिति, मुकदमा नंबर के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी, जांच के परिणामां का ब्यौरा तलब किया है.
सीबीआई की ओर मांगी गई जानकारियां जुटाने में विभागीय अफसरों के पसीने छूट रहे हैं. कुछ अधिकारियों ने जानकारियां मुहैया भी करा दी है, लेकिन कई अभी तक भी जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए हैं. इसके अलावा जांच अधिकारियों के नाम और उनके मोबाइल फोन नंबर की भी जानकारी मांगी है.
गौरतलब है कि विगत दिनों अदालत ने सीबीआई को बाघों के शिकार में वन अधिकारियों की संलिप्तता का पता लगाने के भी आदेश दिए थे. आदेश में कहा गया है कि सीबीआई इस मामले की जांच करेगी और इसकी शुरूआती रिपोर्ट तीन माह के अंदर सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश की जायेगी. सीबीआई जांच में अपनी वन्यजीव शाखा की सेवाएं भी ले सकेगी.
पिछले ढाई साल की अवधि में प्रदेश में 40 बाघ और 272 तेंदुओं की मौत हुई है. एवं अदालत ने यह आदेश तब दिया जब उसे इस तथ्य से अवगत कराया गया कि पिछले छह माह में पार्क में मरे नौ बाघों में से केवल छह की ही प्राकृतिक मृत्यु थी. कोर्ट ने बाघों के तोताराम, बाल्कू, बावरिया गिरोह के शिकारियों को एसएसपी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर तीन माह के भीतर उन्हें गिरफ्तार किए जाने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अभी रिपोर्ट आनी शेष है.
कोर्ट ने कॉर्बेट पार्क के ढिकाला जोन में निजी तथा व्यावसायिक जिप्सियों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन बाद में आदेश वापस ले लिया था. इस प्रकरण पर कोर्ट की सख्ती और सीबीआई की तेज होती जांच के बाद कई अधिकारियों के ‘जंगलराज’ खुलने की आशंका है.
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