कला साहित्य

कविता : नाक के पहाड़ से

वो औरतें
लम्बा टीका लगाती हैं
जो नाक के पहाड़ से
माथे और माँग के मैदान तक जाता है

वो औरतें
चढ़कर, उतरकर
और फिर से चढ़कर
एक ऐसे गाँव आती हैं
जहाँ से
सड़क साँप बनकर
उनके बच्चों को
निगल जाती है

वो औरतें
जो बस में बैठे अपने बच्चों को देखती हैं
और कहती हैं
“अपने डेरे पर पहुँचकर फोन करना हाँ !”
और अपनी खलेती से पैसे निकाल कहती हैं
“बट पन के खा लिए !”

वो औरतें
जो बच्चों की याद में
आँसू नहीं बहाती हैं
लेकिन पहाड़ चढ़ते हुए
पसीना बहाती हैं

वो जिनकी नाक की नोक पर
लाल टीके में मिला हुआ पसीना
कभी कभार ऐसे लटकता है
जैसे
खायी में गिरने से ठीक पहले
पहाड़ों से मैदान जाती हुई
कोई बस

कुमाऊनी शब्दों के अर्थ : खलेती-जेब.
बट पन के खा लिए – रास्ते में कुछ खा लेना.

मूल रूप से अल्मोड़ा के ‘बासोट’ की रहने वाली प्रकृति करगेती 2015 में राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान से सम्मानित हैं. प्रकृति का पहला कविता संग्रह ‘शहर और शिकायतें’ 2017 में प्रकाशित हुआ, पहला कहानी संग्रह ‘ ठहरे हुए से लोग’ 2022 में. 2015 में बीबीसी की 100 वीमेन सूची में प्रकृति को शामिल किया गया. कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइट और ब्लॉग में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं. इंडिया टुडे, नेटवर्क 18 और बीबीसी में पत्रकार और प्रोड्यूसर की भूमिका में काम करने के बाद टी.वी.एफ़ (TVF) और कल्चर मशीन से जुड़कर पटकथा लेखन की भी शुरुआत करने वाली प्रकृति फ़िलहाल टाइम्स इंटरनेट में पटकथा लेखक के रूप में कार्यरत हैं.

इसे भी पढ़ें : एक बुरूंश कहीं खिलता है

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

पहाड़ से निकलकर बास्केटबॉल में देश का नाम रोशन करने कैप्टन हरि दत्त कापड़ी का निधन

हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…

2 weeks ago

डी एस बी के अतीत में ‘मैं’

तेरा इश्क मैं  कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…

2 weeks ago

शराब की बहस ने कौसानी को दो ध्रुवों में तब्दील किया

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…

3 weeks ago

अब मानव निर्मित आपदाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं : प्रोफ़ेसर शेखर पाठक

मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…

3 weeks ago

शराब से मोहब्बत, शराबी से घृणा?

इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…

3 weeks ago

वीर गढ़ू सुम्याल और सती सरू कुमैण की गाथा

कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…

3 weeks ago