कॉलम

मार्डन गर्ल

एक बार हम दो दोस्तों ने मास्टरजी से बड़ी हिम्मत जुटा कर एक दरखास्त की कि हमें गाय पर नहीं बकरी पर निबंध लिखने दिया जाय. हम दोनों के घर में मिलाकर कुछ सात बकरियाँ थी इसलिए हम बकरी पर बेहतर लिख सकते थे. मास्टरजी ने अगली तीन कक्षा के लिए हमें मुर्गा बना दिया. बाद में उठने पर हमें मुर्गे पर बड़ी दया आयी और हमारा मन मुर्गे पर निबंध लिखने का हुआ पर हिम्मत ना हो पाई, ना जाने हमारी गुस्ताखी पर मास्टरजी फिर हमारा मोर ही बना देते. कुल मिलाकर स्कूलों में मास्टरों की मर्जी के विषय पर  निबंध लिखने का फंडा हमारी समझ से परे था.

एक नया विवाद भारत के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाने वाली किताब करंट स्कूल ऐसे एंड लैटर्स ( current school essays and letters ) में मार्डन गर्ल पर लिखे एक निबंध पर हुआ है. किताब में मार्डन बॉयज पर कोई निबंध है या नहीं यह अभी तक नहीं पता. इस निबंध की पहली दो लाईन कुछ इसप्रकार हैं-

The girl in the modern age is generally very smart, intelligent, conscious and fashionable. She is always imitating the male in fashion, ambition and professional endeavours.

हिंदी में इसका भाव हुआ – आधुनिक युग में लड़की आमतौर पर बहुत ही स्मार्ट, बुद्धिमान, जागरूक और फैशनेबल होती है. वह हमेशा मर्दों के फैशन, महत्त्वाकांक्षा और नौकरियों को कॉपी करने में लगी रहती है.

निबंध में आगे लिखा गया है कि मार्डन लड़की को जीन्स पैन्ट्स पसंद हैं. उसकी अल्मारी में साड़ियों के लिये कोई जगह नहीं हैं. एक मार्डन लड़की ना किसी की बात मानती है. वह ना एक प्यार करने वाली बेटी होती है ना ही बहन वह सिर्फ अपने बारे में सोचती है. वह हमेशा खुद को स्वस्थ एवं सुन्दर रखना चाहती है. इसके लिए वह महंगे फैशनेबल ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदती है. वह सिर्फ अपनी जिन्दगी एन्जॉय करना चाहती है.

यह उस निबंध की कुछ पंक्तियों का अनुवाद है जो भारत में पंद्रह से सोलह साल के बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जा रहा है.

पहले तो मार्डन लड़की निबंध का विषय ही कैसे हुआ दूसरा हम बच्चों को पढ़ा क्या रहे हैं? ट्विटर पर लोगों के तरीके से सीबीएसी बोर्ड को गरियाने के बाद सीबीएससी ने एक नोटिफिकेसन जारी किया जिसमें लिखा गया है कि किताब सीबीएसी द्वारा नहीं छापी गयी है हालांकि किताब के पहले पन्ने पर intended for I.C.S.E., I.S.C, C.B.S.E. Secondary and Higher Secondary Students लिखा गया है. आई.सी.एस.ई ने भी स्कूल में ऐसी किसी भी किताब के लगाये जाने की बात को सिरे से नकारा है. किताब छापने वाले पब्लिशर का कहना है कि हम लेखक के विचारों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते. लेकिन हम इसके बाद लेखक से निबंध में सुधार के लिए जरुर कहेंगे. फिलहाल यह किताब आउट ऑफ स्टॉक है जिसका आउट ऑफ स्टॉक ही रहना बेहतर है.

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Girish Lohani

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