बबूल बोओगे, तो आम कहां से खाओगे

जिन लोगों ने भौतिक विज्ञान पढ़ा है, वे न्यूटन के गति के तीसरे नियम से अवश्य परिचित होंगे. तीसरा नियम क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम है. इस नियम के मुताबिक जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल का प्रयोग करती है, तत्क्षण ही दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर वापस बल लगाती है. दोनों बल परिमाण में बराबर परंतु दिशा में विपरीत होते हैं. भौतिक जगत पर लागू होने वाला यह नियम जरा से हेर-फेर के साथ हमारे जीवन पर भी लागू होता है. वहां यह नियम कुछ ऐसा हो जाता है – जीवन में हम जो भी दूसरों को देते हैं, हमें वही हमारी दी मात्रा से ज्यादा मात्रा में वापस प्राप्त होता है. इस नियम को लागू कर हम अपने जीवन के रहस्यों को सुलझा सकते हैं.
(Mind Fit 2 Column by Sundar Chand Thakur)

मैंने कई लोगों को शिकायत करते देखा है कि उनका जीवन प्रेमविहीन हो गया है. न तो उन्हें पत्नी से प्रेम मिलता है, न वे इतने भाग्यशाली हैं कि विवाह से बाहर कोई स्त्री उनसे प्रेम करने लगे. और ऐसा तब घटित हो रहा होता है, जबकि उन्हें दूसरे कई लोग गले-गले तक प्रेम में डूबे दिख रहे होते हैं. मरीन ड्राइव पर समुद्र के किनारे, किसी बीच पर या किसी वाटिका में प्रेम करते हुए लोगों पर उनकी नजर पड़ती ही है. प्रेम विहीन जीवन का ऐसा रोना रोते लोगों को देखकर मुझे कभी रोना नहीं आ पाया, अलबत्ता हंसी जरूर आई है. आपको भी हंसी ही आएगी, अगर आप किसी को वही डाल काटते देखें, जिस पर कि वह खुद बैठा हुआ है.

मैं ऐसे लोगों से सिर्फ इतना पूछता हूं कि क्या वे भौतिक शास्त्र के नियमों का पालन कर रहे हैं? नियम के मुताबिक उन्हें दूसरे व्यक्ति को वही चीज देनी होती है, जो कि वह खुद उस व्यक्ति से वापस प्राप्त करना चाहते हैं. अगर पत्नी से प्रेम की दरकार है, तो उसे आपको प्रेम देना होगा. अगर पत्नी आपको गाहे-बगाहे झाड़ू थमा दे रही है, आप पर ताने कसती है, आपसे पति की तरह नहीं बल्कि इमरजेंसी सर्विस मुहैया करने वाले बंदे की तरह बर्ताव कर रही है, तो नियमानुसार यह मान लिया जाएगा कि आप भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव करते हैं.

आपने मरीन ड्राइव में समुद्र किनारे और बाग-बगीचों में जिन प्रेमियों को देखा, क्या कभी गौर किया कि वे कितने जतन से अपनी प्रेमिकाओं के लिए इत्र छिड़के हुए गुलाब के फूल लेकर जाते हैं, प्रेमिकाओं को अच्छा लगे, इसके लिए खुद वे उनके समक्ष अपनी ओर से सबसे बेहतरीन स्वरूप में अवतरित होते हैं और कंघी, तेल, क्रीम, परफ्यूम जैसी चीजों के औचित्य को यथासंभव साबित करने की कोशिश करते हैं. वे अपने दफ्तरों से कलटी मारने का जोखिम लेने में भी घबराते नहीं.

कभी उनके बरक्स खुद पर भी नजर डालिए और ईमानदारी से याद कीजिए कि पिछली बार कब आपने अपनी पत्नी को गुलाब के इत्र से भीगे फूल दिए थे. याद कीजिए कि पिछली बार कब आपने पत्नी को ‘आई लव यू डार्लिंग’ कहा था. आप अपनी पत्नी को इतना गया गुजरा भी न समझें कि आप उसे इत्र से डूबा गुलाब देते हुए ‘आई लव यू’ कहें, तो वह इत्र से ज्यादा मीठी मुस्कान के साथ ‘आई लव यू टू’ कहकर उसे लौटाए ना.
(Mind Fit 2 Column by Sundar Chand Thakur)

पति और पत्नी से बाहर लोगों के बीच आपसी लेन-देन के समीकरणों का अध्ययन करें, तो भौतिक शास्त्र का यह नियम और ज्यादा सटीक प्रतीत होता है. इसमें कुछ ऐसा नहीं, जो आपने खुद होते हुए न देखा हो. आपने देखा ही होगा कि आपको अपने बाग में जिस फल का पेड़ लगाना था, आपने उसी का बीज भी बोया. आम का पेड़ लगाने के लिए आम का ही बीज बोया. अगर कोई बबूल का झाड़ लगाए और आम की उम्मीद करे, तो उसे आप क्या कहेंगे? आम की उम्मीद करे और जब आम की जगह कांटें आएं, तो इस हद तक दुखी और परेशान हो जाए कि आत्महत्या करने तक का विचार करने लगे! आजकल यही होने लगा है. लोगों को यही पता नहीं कि जितना वे देंगे, जो वे देंगे, वही उन्हें वापस भी मिलेगा और अपेक्षा से कहीं ज्यादा मिलेगा. लेकिन ध्यान सारा देने पर रहे.

किस तरह मैं दूसरों के काम आऊं – आपकी चिंता का विषय यह होना चाहिए. लेकिन अगर आप सोचने लगें कि किस तरह आप दूसरों को अपने काम में ला सकें, किस तरह उनसे कुछ पा सकें, तो पूरा समीकरण ही बदल जाता है. यह जीवन के बुनियादी नियमों के खिलाफ हो जाता है. आप कुछ भी कर लें, इसमें आपको असफलता मिलना तय है. मजे की बात यह है कि जब आप दूसरों को देने की फिक्र करते हैं, तो आपको देने में तो सुख मिलता ही है, उसके बदले में जो आप पाते हैं, वह सुख अलग. यानी देना आपको डबल सुख की गारंटी देता है.
(Mind Fit 2 Column by Sundar Chand Thakur)

– सुंदर चंद ठाकुर

लेखक अपने यूट्यूब चैनल MindFit के जरिए युवाओं में शारीरिक व मानसिक फिटनेस को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं.

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सुन्दर चन्द ठाकुर

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

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