Featured

रामनगर में जब द ग्रेट खली पत्रकारों को लेने खुद पहुंचे

बहुत कम लोग होते हैं जो जीवन भर अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं. खास तौर से तब,जब कोई फर्श से अर्श तक का सफर तय कर लेता है और नाम शोहरत दोनों कमा लेता है. ऐसा ही एक नाम है रेसलिंग की दुनिया में अपनी गहरी छाप छोड़ने वाले द ग्रेट खली उर्फ दलीप सिंह राणा. अपनी मेहनत और किस्मत के बूते ही आज वह ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके हैं जब बड़े बड़े नेता और रसूखदार लोग किसी काम के लिए उनसे मिलने का समय लेते हैं. जाहिर है धन दौलत शोहरत हासिल होने पर किसी के भी जीवन में बदलाव आना स्वभाविक है. लेकिन कुछ लोग सब कुछ पा जाने के बाद भी अपने बुरे दिनों को कभी नहीं भूलते. उनका व्यवहार कभी नहीं बदलता. इसीलिए वह भीड़ से हटकर अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं. आप यकीनन सोच रहे होंगे कि मैं खली के लिए ऐसी भूमिका क्यों बांध रहा हूं. Memoir by Mahavir Chauhan

Memoir by Mahavir Chauhan

दरअसल हुआ यूं कि 24 फरवरी 2016 को हल्द्वानी के अंर्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में द् ग्रेट खली और विदेशी रेसलरों के बीच फाइट होनी थी. उस दौरान संपादक को उनके किसी मित्र ने सूचना दी कि खली और उनकी टीम रामनगर से कोसों दूर घने जंगल में बने रिसॉर्ट में रुकी है. संपादक ने मुझे मेरे साथी संजय कनेरा, दीपक पुरोहित को ठीक एक दिन पहले अचानक ऑफिस में बुलाया और कहा कि अभी तत्काल मौके पर जाओ और सभी रेसलरों का इंटरव्यू लो.

उनका आदेश पाते ही हम ऑफिस की गाड़ी से चल पड़े रिसॉर्ट. लेकिन वहां पहुंचते ही हमें मैनेजर ने इंटरनैशनल सिक्योरिटी का मामला बताकर भीतर जाने से रोक दिया. थक-हारकर हमने संपादक जी को फोन कर जानकारी दी कि मिलना संभव नहीं हो पा रहा. उन्होंने बस इतना कहा कि हो सके तो खाली हाथ मत आना. इधर मोबाइल में नेटवर्क के लिए हमें एक से डेढ़ किलोमीटर दूर गांव की चोटी पर आकर बात करनी पड़ती थी. Memoir by Mahavir Chauhan

घंटों बीतने के बाद अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया. मैंने ऑफिस के एक स्टाफ कर्मचारी से कहा कि आप जाकर खली से कहो कि आपसे कोई हिमाचल के शिलाई क्षेत्र से मिलने आया है. शिलाई हमारे गृह क्षेत्र है. मैं मन ही मन सोच रहा था कि वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद खली को भला इस बात से क्या लेना देना होगा कि कौन कहां से आया है.

लेकिन यकीन मानिए, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जैसे ही मैंने द् ग्रेट खली को कार्ट में बैठकर हमारी और आते देखा. खली ने आते ही पूछा बताओ शिलाई से कौन मिलने आया है. मैंने उन्हें अपना परिचय दिया. पिताजी और उनके दोस्तों के नाम भी बताए. खली ने उसी होटल मैनेजर से कहा कि जल्दी से लंच की व्यवस्था करो हम सभी रेसलर ‘हिन्दुस्तान’ की टीम के साथ लंच करेंगे. आज सहसा पुरानी फोटो देखकर खली भाई से जुड़ा यह किस्सा याद आया तो आप लोगों से साझा करने का मन हुआ.

मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले महावीर चौहान हाल-फिलहाल हल्द्वानी में हिंदुस्तान दैनिक के तेजतर्रार रिपोर्टर के तौर पर जाने जाते हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखंड में भूकम्प का साया, म्यांमार ने दिखाया आईना

हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने 2,000 से ज्यादा…

3 hours ago

हरियाली के पर्याय चाय बागान

चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और…

2 days ago

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

1 month ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

1 month ago