समाज

एवरेस्ट शिखर पर पिथौरागढ़ के मनीष कसनियाल

आज सुबह 5 बजे पिथौरागढ़ के मनीष कसनियाल अपने दल पर एवरेस्ट शिखर पर पहुंचे. त्रिशूल, गंगोत्री तृतीय, बलजोरी, लामचीर, बीसी रॉय आदि एक दर्जन से अधिक चोटियां फ़तेह कर चुके मनीष ने आज सुबह यह कारनामा 26 वर्ष की उम्र में किया है. एवरेस्ट अभियान में उनके साथ भारत की ममता प्रधान, तुक्ते शेरपा और कामी शेरपा थे.
(Manish Kashniyal)

मनीष 2008 में आईस (Intrinsic Climbers and Explorers) संस्था से जुड़े. मनीष ने आईस संस्था के साथ ही सबसे पहले पर्वतारोहण के गुर सीखे. आइस संस्था में प्रशिक्षक बासू पांडेय और जया पांडेय से पर्वतारोहण का हुनर सीखा. बचपन से ही साहसिक खेलों में रुचि रखने वाले मनीष कासनी गांव के रहने वाले हैं.

मनीष ने 2013 में जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, जम्मू कश्मीर में ट्रेनिग ली. 2014 में उन्होंने पर्वतारोहण में एडवांस कोर्स किया. इसके बाद मनीष लगातार भारत की अलग अलग चोटियां फतह करते रहे. पिछले वर्ष आईस की टीम ने मुनस्यारी स्थित फॉल बिर्थी वाटरफॉल पर रैपलिंग कर राष्ट्रीय स्तर पर बनाया रिकाॅर्ड. तीस सदस्यी इस टीम में मनीष की महत्वपूर्ण भूमिका थी. बिर्थी वाटरफॉल पर रैपलिंग का यह रिकार्ड लिम्का बुक रिकार्ड में दर्ज है.
(Manish Kashniyal)

अपने प्रशिक्षक बासु पांडे के साथ मनीष कसनियाल.

साहसिक खेलों के अतिरिक्त मनीष फोटोग्राफी और लेखन का सगल भी रखते हैं. पर्वतारोहण के अतिरिक्त मनीष इतिहास विषय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं. वह लगातार इतिहास से जुड़े नई शोध में भी जुटे रहते हैं. कासनी स्थित विष्णु मंदिर पर उनका एक लेख काफल ट्री में पढ़ें:

पिथौरागढ़ में 11वीं सदी के मध्य का विष्णु मंदिर
(Manish Kashniyal)

काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

20 hours ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

22 hours ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

2 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

3 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

3 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago