अपनी हॉकी की जादूगरी के जरिए देश-विदेश में प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद की आज 113वीं जयंती है. 29 अगस्त, 1905 में इलाहाबाद में जन्मे मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन पूरे भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है. तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे.
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है और भारत क लिए बेहतरीन खेल दिखाते हुए उन्होंने 1928 से लेकर 1936 तक भारत को तीन ओलंपिक गोल्ड भी दिलाए. 1928 में नीदरलैंड्स में खेले गए ओलंपिक में ध्यानचंद ने 5 मैच में सबसे ज्यादा 14 गोल किए और भारत को गोल्ड मेडल जिताया. इस जीत के बाद बोम्बे हार्बर में हज़ारों लोगों ने टीम का ज़ोरदार स्वागत किया.यह उनका पहला ओलंपिक था. फिर चार साल बाद 1928 के करिश्मे को दोहराने हुए ध्यानचंद ने 1932 में लोस एंजलिस में खेले गए ओलम्पिस में जापान के खिलाफ अपने पहले ही मुकाबले को भारत ने 11-1 से जीत लिया. इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारत ने यूएसए को 24-1 से हराकर एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जो बाद में साल 2003 में जाकर टूटा. इस ओलम्पिक में एक बार फिर भारत गोल्ड मेडलिस्ट बना.
मेजर ध्यानचंद ने साल 1948 में अपना आखिरी मैच खेला और अपने पूरे कार्यकाल में कुल 400 से अधिक गोल भी किए. जो कि एक रिकॉर्ड है. हॉकी के जादूगर भी मेजर ध्यानचंद भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया. उन्हें साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
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