उतराखंड सरकार के महीने भर के मंथन के बाद आज दिन था सोमरस के निकलने का. सोमरस को लेकर लम्बे समय से अफ़वाहों का बाजार गर्म था लेकिन आखिर सरकार कृपा से सोमरस छलक ही गया.
(No Social Distancing Outside Liquor Shops)
सुबह हल्द्वानी समेत उत्तराखंड के कई कस्बों में तालियों के साथ सोम रस वितरण प्रारंभ किया गया. आज का सूरज उगने से पहले ही राष्ट्रवीर सोमरस वितरण केंद्र, जिन्हें शराब के ठेके नाम से बदनाम किया गया है, के सामने बने गोलों पर डट चुके थे.
उनका या जज्बा देखकर हर किसी की आँखों में आंसू थे. वितरण केंद्र का शटर खुलने से पहले उनका अनुशासन और धैर्य देखकर मीडिया द्वारा उनके कसीदे पढ़े जाने लगे. जब मिडियाकर्मी ने जब सोमरस पान करने वाले एक उत्तराखंडी योद्धा से बात की तो उसका कहना था
राष्ट्र के नाम हम शराब खरीद रहे हैं. संकट के इस दौर में हम देश और राज्य की अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं होने देंगे.
सूरज की पहली किरण के साथ सोमरस का वितरण प्रारंभ होता है. भावविभोर हो चुके लोगों के बीच 20 मिनट में ही सोशियल डिस्टेन्स नाम की चिड़िया गायब दिखती है. धर्म, जाति, क्लास के अंतर को भुलाकर लोगों को बीस मिनट में एक करने का काम कर दिखाया सोमरस ने.
(No Social Distancing Outside Liquor Shops)
क्या लड़का, क्या जवान और क्या बुढा. क्या देहरादून, क्या अल्मोड़ा और क्या चमोली सबकी जुबान पर एक ही बात थी –
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर, मेल कराती मधुशाला…
घोर कलयुग में लोगों के इस मिलाप की ख़ुशी के चलते दोपहर तक प्रशासन को भी होश न रहा कि कोरोना नामक की कोई बीमारी इस दुनिया में है. जब होश आया तो महीने भर से चले आ रहे मंथन का अब रायता फ़ैल चुका था.
रायता फैलने का एक प्रभाव तो यह हुआ की कई जिलों में सोमरस वितरण तुरंत रोक दिया गया. जिनको सोमरस की प्राप्ति हुई वो अपने इष्टदेव का ध्यान कर सेल्फी पोस्ट कर रहे हैं और जिनको नहीं हुई वो सरकार के सम्मान में कुछ ऐसा कह और लिख रहे हैं जो यहां नहीं लिखा जा सकता.
कुल मिलाकर बात यह है कि सोमरस के प्रति मोह कभी नहीं छुटेगा फिर युग कोई भी हो या बीमारी कितनी भी जानलेवा हो.
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