Categories: Featured

पिथौरागढ़ के बेरीनाग में गुलदार ने तीन साल के बच्चे को मारा

पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग क्षेत्र में आदमखोर गुलदार ने तीन साल के बच्चे को घर के आंगन से ही उठा लिया. घटना बीती रात की है.

रात के करीबन नौ बजे कांडे किरोली क्षेत्र के मलेत गांव में गुलदार ने 3 साल के नैतिक कार्की पर हमला किया. गुलदार के हमले के समय नैतिक अपनी मां के साथ ही था.

अपने बच्चे को दूध पिलाकर जब मां अपने कमरे की ओर जा रही थी तो घात लगाकर बैठे गुलदार ने मां की गोद से बच्चे को झपट लिया. मां के चिल्लाने पर जब तक गांव वाले इकट्ठा होते तब तक गुलदार बच्चे को 250 मीटर दूर घसीट चुका था.

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे के परिजन विनय रावत ने बताया कि बच्चा मां की गोद में था. एक गुलदार अचानक आया और उसने झपट्टा मारकर मां की गोद से बच्चे को अपने जबड़े में ले लिया. बच्चे के पिता दिल्ली में प्राइवेट जॉब करते हैं.

बेरीनाग के वन क्षेत्राधिकारी जगदीश जोशी ने कहा कि मुझे इस घटना की सूचना मिली तो हम तत्काल हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो गई थी. इसके बाद हमने कागजी कार्रवाई शुरू कर दी.

घटना के बाद गांव वालों का कहना है कि इसके लिये पूरी तरह से वन विभाग जिम्मेदार है. लोगों का कहना है कि लंबे वक्त से ये क्षेत्र गुलदार के आतंक से त्रस्त है. डर की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे. लोगों ने जंगल में जाना छोड़ दिया है, बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर नहीं जा पाते. अंधेरा होने से पहले ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं, लेकिन कई बार शिकायत किए जाने के बाद भी वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए.

उत्तराखंड में आदमखोर गुलदार का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रत्येक हफ्ते ही आदमखोर गुलदार द्वारा किसी न किसी को शिकार बनाया जा रहा है. सरकार द्वारा इन घटनाओं को रोकने के लिये किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 hours ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

23 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

23 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago