ऐपण उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रचलित लोककला है. कुमाऊँ के हर घर की महिलाएं मांगलिक अवसरों पर इसे सदियों से बनाती हैं. कुमाऊँ की हर महिला एक ऐपण आर्टिस्ट है कहा जाए तो गलत नहीं होगा. विगत वर्षों में सोशल मीडिया में बेतुकी चीजों पर लाल-सफ़ेद पुताई करके ऐपण आर्टिस्ट बनने की होड़ लगी है. इस भेड़चाल से अलग पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा पारंपरिक ऐपण आर्ट को नए आयाम देने में ख़ामोशी से जुटी हुई हैं. निशा के ऐपण आर्ट में चित्रकला की बारीकियां, कलात्मक सुघड़ता के साथ-साथ ऐपण के पारंपरिक विधान भी बखूबी मौजूद हैं. इस रक्षा बंधन भी निशा पुनेठा के भकार से भाई-बहनों के लिए अनमोल सौगात आई है – ठेठ पहाड़ी राखियां. (Kumaoni Rakhi by Nisha Punetha)
रक्षाबंधन के मौके पर ठेठ पारंपरिक राखियों के नाम पर भी कई लोग सामने आये हैं. लेकिन कुमाऊँ के पिथौरागढ़ की निशा की राखियां इन सबसे अलग हैं. ऐपण के पैटर्न पर बनायी गयी इन राखियों को पारंपरिक रक्षा धागे में पिरोया गया है. पवित्र रक्षा धागे पर मोतियों की सजावट और बेहतरीन रंगों का तालमेल बहुत आकर्षक लगता हैं. ऐपण कला के साथ सुघड़ता के साथ उकेरे गए गणेश, स्वास्तिक, श्री और ॐ के धार्मिक चिन्ह इन राखियों को ठेठ कुमाऊनी पहचान देते हैं.
निशा पुनेठा की कलात्मक राखियां कलात्मकता और गुणवत्ता के मामले में बाजार की डिजायनर राखियों पर भारी हैं. एक राखी की कीमत मात्र 10 रुपये रखी गयी है. निशा कहती हैं कि इन राखियों से मुनाफा कमाना ही उनका मकसद नहीं है बल्कि इसके माध्यम से वे उत्तराखण्ड की लोककला व संस्कृति को प्रचारित कर पा रही हैं. इन राखियों को निशा के फेसबुक पेज वसुधारा ऐपण आर्ट के माध्यम से लिया जा सकता है.
निशा उत्तराखण्ड की बेहतरीन ऐपण कलाकारों में गिनी जाती हैं और इनकी ऐपण कला हमेशा से चर्चित रही हैं. निशा ऐपण कला को नयी ऊंचाइयों पर पहुँचाने के लिए लगातार मेहनत करने के अलावा अन्य लोगों को भी इस कला का लगातार प्रशिक्षण भी दे रही हैं. निशा पुनेठा के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें : ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…
मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…
इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…
कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…