Featured

‘केदारनाद’ की कुमाऊनी होली बसंती नारंगी

उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत संकटग्रस्त है. इसके विभिन्न कारणों पर अक्सर चर्चा होती रहती है. इन्हीं हालातों के बीच उम्मीद की ताजा हवा के कुछ झोंके भी आते रहते हैं. इन्हीं झोंकों में हैं लोकसंस्कृति के क्षेत्र में कुछ युवाओं की सशक्त उपस्थिति. ये युवा उत्तराखण्ड की विभिन्न विधाओं को विकसित करने में लगे हुए हैं. उन विधाओं को नए सांचे में ढालने का भी काम कर रहे हैं. इन्हीं कोशिशों की कड़ी में हल्द्वानी के युवा करन जोशी (Karn Joshi) कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) गीत ‘बुरांसी के फूलों को कुमकुम मारो’ लेकर आये हैं. इस गाने में लोकसंस्कृति के भविष्य की उम्मीद के रंग दिखाई देते हैं.

ऐसे ही एक युवा करनजोशी के बारे में हमने अपनी एक पोस्ट में बताया था. करन ने महानगर में खपने के बाद पहाड़ लौटकर उत्तराखंडी संगीत की दिशा में कुछ प्रयोग करने की शुरुआत करने के बारे में सोचा. वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लौटकर हल्द्वानी में अपना जम-जमाव करने के बाद संगीत की लगन में लग गए. फ़रवरी में उत्तराखण्ड के लोक कवि व संस्कृतिक-सामाजिक कार्यकर्त्ता गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ के गीत ‘दिगौ लाली’ से उन्होंने अपनी लोकसंगीत की पारी की शुरुआत की. करन के यू ट्यूब चैनल ‘केदारनाद’ से जारी उनका पहला गाना काफी सराहा गया.

युवावस्था से ही गिटार बजाते, गाते आ रहे करन यू ट्यूब के मध्यम से हिंदी फ़िल्मी, गैर फ़िल्मी गीतों को कवर करते आ रहे थे. 2013 में उनके द्वारा लिखा और कम्पोज किया गया गाना ‘शिवा’ काफी चर्चित रहा था. शिवा आपदा की पृष्ठभूमि पर लिखा गया एक दार्शनिक गीत था.

होली के मौके पर करन के यू ट्यूब चैनल केदारनाद से उनका कुमाऊनी होली गीत जारी हुआ है. स्व. चारू चन्द्र पाण्डेय द्वारा लिखा ‘बुरांसी के फूलों को कुमकुम मारो, डाना काना छाजी गे बसंती नारंगी’ कुमाऊँ का लोकप्रिय होली गीत है. करन ने इस गीत को गाया और संगीतबद्ध किया है. युवा संगीतकार मनीष पन्त ने वाद्यों से कमाल का संगीत रचा है. विपुल तिवारी ने गिटार के तारों को बेहतरीन छेड़ा है.

इन युवाओं की कोशिशों ने इस कुमाऊनी होली की आत्मा को बनाये रखते हुए इसे आधुनिक बनाने का भी बेजोड़ काम किया है.

करन जोशी के यू ट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करने के लिए इस लिंक को क्लिक करें: केदारनाद

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

3 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

6 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

2 weeks ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago