Featured

घर की देहली पर बनाये जाने वाले ऐपण

ऐपण कुमाऊनी आलेखन परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह कुमाऊँ के लोकजीवन व धार्मिक आयोजनों का महत्वपूर्ण पक्ष है. यहाँ के सभी धार्मिक उत्सवों, पर्व-त्यौहारों, व्रतोत्सवों अथवा संस्करोत्सवों में इन्हें बनाना अनिवार्य माना जाता है. ऐपण के कई प्रकार हैं. इसी ऐपण परंपरा का ही एक हिस्सा है देह्रली ऐपण

द्वारस्थलीय ऐपण

घर के प्रवेशद्वार की देहली पर किये जाने वाले ऐपणों को देहली ऐपण, धेई ऐपण या देहली लिखना, धेई लिखना कहा जाता है. उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में अल्पना की यह परंपरा बहुत पुराने समय से ही लोकप्रिय है.

ऐसा लगता है प्रवेशद्वार के आलेखन की यह परंपरा यक्ष संस्कृति की देन है. कालिदास के मेघदूत में यक्ष अपने घर का परिचय देते हुए कहता है ‘वहां मेरी पत्नी के द्वारा द्वारस्थल (देहरी) पर अलिखित शंख तथा कमल पुष्प को देखकर तुम्हें उसे पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होगी.’

कुमाऊँ में ऐसा कोई त्यौहार व अनुष्ठान नहीं है जिसमें देहली ऐपण न किया जाता हो. इतना ही नहीं यहाँ पर देहली पूजन एक उत्सव के रूप में महीने भर मनाया जाता है. चैत्र संक्रान्ति (फूल सग्यान) को शुरू होने वाले इस उत्सव में गृहणियां देहली को पहली मिट्टी-गोबर से लीपती हैं. इसके बाद गेरुआ या लाल मिट्टी की परत चढ़ाकर उसमें बिस्वार (चावल के घोल) के माध्यम से अनेक कलात्मक रेखाचित्र बनाती हैं. यह त्यौहार विषुवत संक्रान्ति तक चलती रहती है.

देहरी ऐपण में बनाने वाले को अपनी कल्पना व सौन्दर्य बोध के हिसाब से डिजाइन बना सकता है. देहरी ऐपण में किसी तरह का अनुष्ठानिक प्रतिबन्ध न होने होने के कारण कल्पना व कलात्मकता दिखाने की पूरी छूट है. इसलिए धेली ऐपण में स्थान के अनुसार काफी ज्यादा विविधता देखने को मिलती है.

(उत्तराखण्ड ज्ञानकोष, प्रो. डी. डी. शर्मा के आधार पर)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago