तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत का भारतीय परम्परा में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है. अनेक भारतीय पुराण एवं धर्म ग्रन्थों में इसे सबसे पवित्र स्थल माना गया है. कैलाश पर्वत से लगे भारतीय क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय अपनी मूल परम्पराओं में इसे स्वर्ग का दर्जा देते हैं.
(Kailash Mountain Kumaon Uttarakhand)
कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत में सबसे पवित्र यात्राओं में एक मानी गयी है. कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़े अनेक पुराने दस्तावेज आज भी मौजूद हैं. यात्रा से जुड़े यह दस्तावेज सौ-दो-सौ बरस नहीं हजारों बरस पुराने हैं. वर्तमान में कैलाश मानसरोवर का यह क्षेत्र चीन अधिकृत तिब्बत का हिस्सा है इसी वजह से यदि किसी व्यक्ति को कैलाश मानसरोवर यात्रा करनी हो तो उसे चीनी सरकार की व्यवस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता है.
कैलाश पर्वत के विषय मे हाल ही में एक ऐसे तथ्य की पुष्टि हुई है जिससे यात्रियों के बीच ख़ासा उत्साह है. कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए चीन अधिकृत तिब्बत जाने की अनिवार्य बाध्यता अब समाप्त हो चुकी है. अब उत्तराखंड के कुमाऊं से भी कैलाश पर्वत के दर्शन किये जा सकते हैं. कुमाऊं स्थित ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश पर्वत के दर्शन किये जा सकते हैं.
इस तथ्य की पुष्टि प्रशासन की ओर से भी कर दी गयी है. स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कुछ महीने पहले ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश पर्वत देखे जाने की बात कही गयी. जिसके बाद प्रशासन द्वारा एक टीम भेजी गयी और इस बात की पुष्टि की गयी कि ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश पर्वत देखा जा सकता है.
(Kailash Mountain Kumaon Uttarakhand)
ओल्ड लिपुलेख पास अट्ठारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. नाभीढांग गाँव से नौ किमी सड़क यात्रा के बाद करीब दो किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ने पर यहां पहुंचा जा कसता है ओर दर्शन किये जा सकते हैं कैलाश पर्वत के. स्थानीय रं कल्याण संस्था ने प्रशासन की इस पहल का स्वागत कर बताया कि ज्योलिंकांग से 20-25 किमी की पैदल यात्रा करने लिंपियाधुरा नाम की जगह पड़ती है जहां से भी भारतीय सरजमीं से कैलाश पर्वत के दर्शन किये जा सकते हैं.
(Kailash Mountain Kumaon Uttarakhand)
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