दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय में बीती रात छात्रों और शिक्षकों पर बर्बर हमला हुआ. यह हमला नकाबपोश गुंडों के एक दल द्वारा किया गया. हमले के बारे में विभिन्न गुटों में मतभिन्नता बनी हुई है. विश्वविद्यालय के कई छात्र और शिक्षक गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं. (JNU Students’ Union Statement)
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार को इस घटना का ज़िम्मेदार ठहराया है. उनकी मांग है कि वीसी इस्तीफ़ा दें या मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन्हें उनके पद से बर्खास्त करे. जेएनयूएसयू का यह बयान आप नीचे पढ़ सकते हैं.
विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार एक डकैत की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो उस विश्वविद्यालय में हिंसा को बनाये रखते हैं, जिसे प्रशासित करने का काम उनके जिम्मे है. वह उन सभी साधनों और तरीके का उपयोग करते हैं जिसके द्वारा छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और पूरे जेएनयू समुदाय को बाहर से बुलाये गए अपराधियों द्वारा लोहे की छड़, पत्थर और लाठियों की हिंसा का सामना करना पड़ता है. अभी इस समय जेएनयूएसयू अध्यक्ष एम्स के ट्रॉमा सेंटर में हैं. एबीवीपी के हमले में उनके सिर पर लोहे की रॉड मारी गई थी.
वाइस चांसलर एक कायर कुलपति हैं जो पिछले दरवाजे के माध्यम से अवैध नीतियों को लागू करते हैं, छात्रों या शिक्षकों के सवालों से दूर भागते हैं और फिर जेएनयू की छवि बिगाड़ने का माहौल बनाते हैं. कायर उसके भी गुर्गे हैं- उनके सहयोगी जिनकी संख्या वह एबीवीपी कार्यकर्ताओं की अवैध नियुक्तियों के आधार पर बढ़ा रहे हैं और जो खुद को जेएनयूटीएफ, एबीवीपी खुद और साइक्लोपस सेक्युरिटी कहते हैं – जिन्हें विशेष रूप से कैंपस को युद्ध क्षेत्र में बदलने के लिए काम पर रखा गया है.
आज लगभग सत्तर दिनों से, जेएनयू के छात्र अपने विश्वविद्यालय को निजीकरण और लालच के चंगुल से बचाने के लिए एक साहसी लड़ाई लड़ रहे हैं. वीसी इस बात पर अड़े हैं कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी कर वह साबित कर सकते हैं कि सर्वसुलभ शिक्षा संभव नहीं है. हम जेएनयू समुदाय के रूप में और भी अधिक अटल हैं कि जेएनयू में फीस वृद्धि नहीं होगी और सस्ती सार्वजनिक शिक्षा का सपना जीवित रहेगा.
आज जो हिंसा हुई, वह वीसी और उनके सहयोगियों की निराशा और हताशा का परिणाम है. लेकिन आज सामने आई घटनाओं का कालक्रम दिल्ली पुलिस के लिए एक शर्मनाक प्रकरण रहेगा, जिसने बाहर से बुलाये गए एबीवीपी के गुंडों को सुरक्षित जाने का रास्ता दिया. अभी कई दिनों से प्रशासन हमारे विरोध को तोड़ने में असमर्थ रहा है. 4 जनवरी के बाद से, एबीवीपी के लोगों को वीसी के गुर्गों के रूप में निर्देशित किया गया कि वे आएं और छात्रों के साथ मारपीट करें. उन्होंने उस दिन लाठियां और पाइपों का इस्तेमाल किया.
आज 5 जनवरी को उन्होंने बाहर से गुंडों को बुलाया, विशेष रूप से डीयू से जिनका नेतृत्व हिस्ट्रीशीटर सतिंदर अवाना ने किया. एबीवीपी के गुंडो के कदम, पिछले साल 2018 में चुनावी हिंसा के दौरान जो उन्होंने किया था, से एक कदम और आगे बढ़ गए हैं.
पेरियार, एसएसएस 2, माही मंडावी और खास तौर पर साबरमती होस्टल में हमलों के दौरान लाठियों, छड़ों और बड़े-बड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. बाहर से आये गुंडों ने न केवल शीशे तोड़े, कारों को तोड़ा और सामान तोड़ा बल्कि ढाबा कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की. लेकिन सबसे ज्यादा चिंतित करने वाले और शर्मनाक तौर पर साबरमती के गर्ल्स विंग और उसके बाद कई अन्य गर्ल्स होस्टलों के अंदर जाकर छात्राओं को डराया-धमकाया और उन पर हमला किया गया. वीसी के इशारे पर साइक्लोप्स सेक्युरिटी ने पुरुष गुंडों को महिला छात्रावासों में पहुंचने में सहयोग किया जहां उन्होंने दरवाजों को पीटा. इससे ज्यादा दहलाने वाला कुछ नहीं हो सकता. जेएनयूटीए ने परिसर में शांति मार्च का आह्वान किया था लेकिन उन्हें भी नहीं बख्शा गया. CSRD की प्रोफेसर सुचरिता सेन के सिर पर बेरहमी से मारा गया, कई अन्य शिक्षक भी घायल हुए हैं.
जो हमारे सुदर गोविंद ने किया वो एबीवीपी और योगेंद्र भारद्वाज जैसे लुम्पेन ने पूरी तरह निर्देशित किया, बाहरी तत्वों की घुसपैठ का खुलासा व्हाट्सएप की चैट्स से हुआ है.
जामिया में हिंसा करने वाली दिल्ली पुलिस ने अपनी भूमिका बदली लेकिन इरादे नहीं. वे मूकदर्शक के रूप में खड़े रहे जब गुंडे छात्रों को पीटने के लिए लाठी और लोहे की छड़ें लेकर जा रहे थे. उन्होंने गुंडों को सुरक्षित निकलने का रास्ता भी दिया.
चार तारीख को गुंडों ने जेएनयूएसयू के महासचिव पर हमला किया और कल उन्होंने अध्यक्ष को लोहे की रॉड से मारा. एबीवीपी ने गर्ल्स हॉस्टल के बाहर और अंदर छात्राओं के साथ भी मारपीट की और पथराव किया. इसमें से कुछ महिला छात्रों ने 4 जनवरी को एबीवीपी गुंडों द्वारा किए गए बेलगाम हमले में गंभीर चोटों और फ्रैक्चर का सामना किया है. इस तरह के पागल और कायरतापूर्ण कार्य दिखाते हैं कि वे छात्रों की एकता से कितना हताश और डरे हुए हैं. हालांकि पुलिस की भूमिका पर ध्यान जाना चाहिए जो अब ऐसी स्थितियों में अपनी भूमिका के लिए बदनाम हो गई है.
जेएनयूएसयू सिविल सोसायटी, नागरिकों, राजनीतिक दलों और सबसे ज्यादा जेएनयू के साथ खड़े होने वाले सभी विश्वविद्यालय के छात्रों का धन्यवाद करता है.
आज चार सालों से यह कुलपति संघ परिवार की पसंदीदा परियोजना में जुटे हुए हैं जिसका मक़सद जेएनयू को नष्ट करना है.
ममिडला ने 2016 में आरएसएस द्वारा प्रायोजित जेएनयू की छवि बिगाड़ने के काम में अपनी भूमिका निभाई.
उन्होंने एबीवीपी के उन गुंडों पर कोई कार्रवाई नहीं की जिन्होंने नजीब के साथ मारपीट की थी और जिसके बाद वो लापता हुआ था.
उन्होंने सीट कट के माध्यम से छात्रों की पीढ़ियों के भविष्य को नष्ट करने की कोशिश की और सामाजिक न्याय की हत्या की.
उन्होंने GSCASH को खत्म कर दिया और अतुल जौहरी जैसे उत्पीड़कों को संरक्षण दिया.
उन्होंने ढाबों को बंद कर दिया और रात के कर्फ्यू के माध्यम से असहमति और बहस की संस्कृति पर अंकुश लगाने की कोशिश की.
उन्होंने एमबीए और इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों के लिए फीस बढ़ाई और प्रवेश को ऑनलाइन कर शैक्षणिक गुणवत्ता से वंचित कर दिया.
वह योग्यता या उपयुक्तता की परवाह किए बिना अपने आकाओं को खुश करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियां कर रहे हैं.
वह फीस वृद्धि लागू करने की कोशिश कर रहे हैं जो जेएनयू को वैसा नहीं रहने देगा जैसे जेएनयू को हम जानते हैं.
वे गुर्गों का इस्तेमाल छात्रों पर हिंसा और विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ करने के लिये कर रहे हैं.
हर कदम पर उन्होंने विश्वविद्यालय की संस्कृति और शैक्षिक माहौल को नष्ट करने की कोशिश की है.
श्री ममिदला जगदीश कुमार, आपके जाने का समय आ गया है!
जेएनयू समुदाय की एकल बिंदु मांग है. या तो वीसी ने इस्तीफा दे या फिर सक्षम अधिकारी के रूप में एमएचआरडी उसे हटाए!
जो लोग इस विश्वविद्यालय को खराब करने और नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, वे सफल नहीं होंगे. जेएनयू आगे बढ़ता रहेगा!
-जेएनयूएसयू ( 06.01.19 )
(मूल रूप से अंग्रेजी में जारी इस बयान का काफल ट्री के लिए अनुवाद अनिरुद्ध कुमार द्वारा किया गया है)
पहाड़ी तकिया कलाम नहीं वाणी की चतुरता की नायाब मिसाल है ठैरा और बल का इस्तेमाल
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
View Comments
हकीकत.
सांच कहूँ तो मारन धावे झूठे जग पतियाना
साधो साधो देखो.....