गढ़वाल के राजा ने गोरखों को भगाने में मदद करने के बदले में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को अपने राज्य का एक बड़ा हिस्सा देना पड़ा. वर्तमान में जिम कार्बेट के नाम पर बने इस पार्क का क्षेत्र अंग्रेजों को गढ़वाल के राजा ने ही मदद के बदले दिया था. इससे पहले यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा की निजी सम्पत्ति का हिस्सा माना जाता था.
(Jim Corbett National Park Established)
इससे पूर्व यह क्षेत्र कुमाऊं और गढ़वाल दोनों के शासकों की ही निजी संपत्ति हुआ करता था. मध्यकाल में रोहिल्ला आक्रमणकारियों ने इन जंगलों में छिपकर दोनों ही राज्यों को खूब नुकसान भी पहुंचाया. ईस्ट इण्डिया कम्पनी को यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा ने ही हस्ताक्षरित कर सौंपा था.
कमिश्नर रैमजे पहला ऐसा प्रशासक था जिसने इस क्षेत्र की वन संपत्ति के संरक्षण की ओर कोई पहल की थी. इस इलाके को अपना ऐशगाह बनाने के लिये अमीर अंग्रेजों ने बड़ा जोर लगाया. 1900 के आस-पास जब पहली बार इस क्षेत्र में को एक नेशनल पार्क बनने की पहल चली तो कुछ यूरोपीय चाहते थे कि इसे गेम रिर्जव बना दिया जाय. 1907 में ब्रिटिश प्रशासन के पास इस इलाके को एक ऐसे गेम रिजर्व में तब्दील करने का प्रस्ताव था जहां मनोरंजन के लिये जंगली जानवरों को मारा जा सके.
(Jim Corbett National Park Established)
एक लम्बी चली बहस के बाद 1930 के दशक में ही जिम कार्बेट पार्क का सीमांकन शुरु हुआ और 8 अगस्त 1936 को कॉर्बेट पार्क को ‘हेली नेशनल पार्क’ का नाम दिया गया. यह नाम उस समय संयुक्त प्रान्त के गवर्नर मैलकम हेली के नाम पर रखा गया. जिम कार्बेट पार्क एशिया का पहला नेशनल पार्क था.
आज़ादी के बाद 1954-55 में इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया. इसी दौरान जिम कार्बेट की मृत्यु हो गयी. जिम कार्बेट ने अपने जीवन का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा इन्हीं इलाकों में गुजारा था. भारत सरकार ने जिम कार्बेट के इस महत्त्व को समझा और उनके सम्मान में साल 1955-56 में एकबार फिर नेशनल पार्क का नाम बदलकर जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान रख दिया.
रामगंगा की पातलीदून घाटी में 1318.54 वर्ग किलोमीटर में बसा जिम कार्बेट पार्क बाघ परियोजना पहल के तहत आने वाला भारत का पहला पार्क है. यहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, नीलगाय, घुरल और चीता आदि ‘वन्य प्राणी’ अधिक संख्या में मिलते हैं, पार्क में लगभग 600 रंग-बिरंगे पक्षियों की जातियाँ भी दिखाई देती हैं.
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