अस्सी का दशक था और गढ़वाली भाषा में एक के बाद एक तीन फ़िल्में आ चुकी थी. कुमाऊनी लोग अब भी इंतजार में थी अपनी पहली कुमाऊनी फिल्म के. लोग हिम्मत करते पर फिर आर्थिक स्थिति के चलते हार मान लेते. कोई कुमाऊनी भाषा में बनने वाली फिल्म पर पैसा लगाने को तैयार नहीं था. जीवन सिंह बिष्ट एक ऐसा नाम है जिन्होंने से चुनौती को स्वीकार किया और बैंक से कर्जा लेकर बनाई कुमाऊनी भाषा की पहली फिल्म ‘मेघा आ.’ आज जीवन सिंह बिष्ट का जन्मदिन है.
(Jeevan Singh Bisht)
‘मेघा आ’ कुमाऊनी भाषा में बनी पहली शानदार फिल्म है जिसकी समीक्षा, तकनीक से भरपूर आज के लैंस में की जाती है. 1987 में आई यह फिल्म अपने समय की सुपरहिट फिल्म है. इस फिल्म की कहानी राजेन्द्र सिंह बोहरा ने लिखी. फिल्म में नायक मुकेश धस्माना और नायिका सपना अवस्थी थी. अन्य महत्वपूर्ण किरदारों में काम कर रहे अनेक कलाकारों ने बिना मेहनताना लिये ही काम किया. माना जाता है कि फिल्म उत्तराखंड में सबसे पहले हल्द्वानी के लक्ष्मी टॉकीज में लगी थी.
जीवन सिंह बिष्ट का जन्म अल्मोड़े के एक सामान्य परिवार में हुआ. उनके पिता नैनसिंह सेना में थे और माता बचुली देवी गृहणी. जीवन सिंह बिष्ट स्नातक के बाद स्टेट बैंक में नौकरी करने लगे. 1987 में ‘मेघा आ’ फिल्म के आने से पहले जीवन सिंह बिष्ट 1986 में बैंक की नौकरी छोड़ चुके थे. 1986 के बाद वह जिन्दगी भर रंगकर्म और आंचलिक फिल्मों से जुड़े रहे. जीवन सिंह बिष्ट ‘मेघा आ’ फिल्म के निर्माता थे. 67 वर्ष की उम्र में जीवन सिंह बिष्ट का निधन दिल्ली एम्स में हुआ था.
(Jeevan Singh Bisht)
‘मेघा आ’ अपने समय के अनुसार एक जबरदस्त पठकथा लिये हुये है. फिल्म में उस समय के बहुत से सामजिक मुद्दों पर रौशनी डालती है. यहां पलायन की टिस भी है, शराब की मार भी है, ग्रामीण परिवेश में शहर के हस्तक्षेप से बदलता माहौल है, भाषा को लेकर समाज में मौजूद हीनता पर फिल्म कड़ी चोट करती है. इस सब पर फिल्म में दीवान सिंह कनवाल का दिया संगीत एक अलग रंग भरता है.
इस फिल्म में उत्तराखंड के सुपरस्टार गायक ‘गोपाल बाबू गोस्वामी’ की भी एक झलक है. गोपाल बाबू गोस्मावी ने फिल्म में सूरदास का एक छोटा सा किरदार निभाया है. यह फिल्म रानीखेत, सोना गांव, चौबटिया, चिलियानौला आदि स्थानों में शूट की गयी थी.
(Jeevan Singh Bisht)
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