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साहस की मिसाल बनी उत्तराखंड की दो घस्यारी

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पहाड़ के हर घर में एक बूढ़ा अवश्य होता है जिसका बाघ से सामना हुआ होता है. जतन से सुनाये जाने वाले इन किस्सों में कभी-कभी भिड़ंत सात-दिन और सात रात तक चलती और आखिर में जीत बूढ़े की जीत हो जाती. गप्प की तरह बरसों से पहाड़ी इन किस्सों का मजा ले रहे हैं.
(Janki Devi and Parvati Devi Tankpur)

क्या कभी सोचा है क्या होगा अगर तीन महिलाएं घास काटने जायें और उनमें से एक महिला को बाघ पकड़ ले. अधिकत्तर लोगों को लगेगा कि बाकी दो महिलायें अपनी जान बचाने को भाग निकलेंगी. पर अगर यह कहा जाये कि दोनों महिलाएं बाघ का सामना करती हैं और अपनी दोस्त को न केवल मौत के मुंह से निकालती हैं बल्कि बाघ को भगा देती हैं.

यह न कहानी है न किस्सा. यह चम्पावत जिले में टनकपुर की एक असल घटी घटना है. बूम रेंज के जंगल में तीन घस्यारी हर दिन की तरह घास काटने जाती हैं. घास काटने में मसगूल गीता देवी, जानकी देवी और पार्वती देवी इस बात बेख़बर थी कि जिस इलाके में वह घास काट रही हैं वहां न जाने कब से बाघ घात लगाये बैठा है. पता न चला बाघ ने कब गीता देवी हमला कर दिया.
(Janki Devi and Parvati Devi Tankpur)

अचानक जंगल में बाघ की पकड़ में महिला थी, उसके चिल्लाने की आवाज़ थी. अब बारी जानकी देवी और पार्वती देवी के साहस दिखाने की थी. दोनों जोर-जोर से चिल्लाते हुए, पत्थर-लकड़ी जो हाथ में आया बाघ की ओर बरसाने लगी. बाघ ख़ुद पर हमला होता देख अपने कदम पीछे खींचने शुरू यह क्या बाघ ने गीता देवी पर दुबारा हमला करने लगा और उसके शरीर को खींचने लगा.

बाघ ने करीब चार मीटर तक गीता देवी को खींचना जारी रखा पर जानकी देवी और पार्वती देवी ने हार न मानी. वह लगातार बाघ पर हमला करती रही. शेरनी जैसी दो महिलाओं का यह हमला बाघ सह न सका और आखिर में बाघ ने वहां से भागने में ही अपनी सलामति समझी.

जानकी देवी और पार्वती देवी किसी तरह को जंगल से बाहर लाये जिसके बाद महिला को अस्पताल पहुंचाया गया. पूरे देश में जानकी देवी और पार्वती देवी के साहस पर बात हो रही है.
(Janki Devi and Parvati Devi Tankpur)

काफल ट्री डेस्क

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