एक ओर उत्तराखंड जहां अपने उच्च हिमालयी ट्रेकिंग डेस्टिनेशंस के लिये प्रसिद्ध है तो वहीं उत्तराखंड अपने प्यारे खूबसूरत बुग्यालों के लिये भी प्रसिद्ध है. जलौनीधार बुग्याल ऐसा ही छोटा मगर खूबसूरत बुग्याल है.
जलौनीधार बुग्याल के लिये बागेश्वर से खरकिया गांव तक का रास्ता गाड़ी से तय किया जा सकता है. खरकिया गांव तक गाड़ी से जाने के बाद आगे का रास्ता पैदल ही तय करना होता है. यह रास्ता सिर्फ इंसानों के लिये ही नहीं है बल्कि इसमें खच्चर भी चलते हैं. खच्चर इस तरह के इलाकों के लिये बहुत ही जरुरतमंद पशु है. इसके बगैर यहां जीवन की कल्पना करना भी असंभव है.
अमूमन ही हिमालय के मौसम का कभी कुछ पता नहीं होता. वैसा ही कुछ जलौनीधार पहुंचने पर भी हुआ. धूप, बादल, बारिश और फिर तेज बारिश सब कुछ एक साथ होता रहा.
अगली सुबह जलौनीधार बुग्याल की खड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए भी मौसम के सारे नजारे देखने को मिल गये. इन नजारों के साथ भेड़ों के झुंड, भेड़ चराने वालों की मस्ती और उनकी कठिन जिंदगी भी दिखायी देती है. हिम्मत देने वाली बात ये है कि इतनी कठिन जिंदगी के बावजूद चेहरे में हंसी ही हंसी बिखरी हुई दिखती है. कुछ पलों के लिये ही पर सुकुन मिलता है इन लोगों के इस निश्छल व्यवहार से.
खैर इन लोगों को छोड़ के आगे बढ़ जाने पर अचानक ही बुग्याल की और खड़ी चढ़ाई दिखने लगती है. बुग्यालों में चलने का मजा की कुछ और है और जब ऊपर पहुंच जाओ तो वहां से जो दिलकश नजारे मिलते हैं वो इस मजे को और ज्यादा बढ़ा देते हैं.
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विनीता यशस्वी
विनीता यशस्वी नैनीताल में रहती हैं. यात्रा और फोटोग्राफी की शौकीन विनीता यशस्वी पिछले एक दशक से नैनीताल समाचार से जुड़ी हैं.
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