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पिता के साथ हुई नाइंसाफी ने दिया था कंचन चौधरी को पुलिस में जाने का हौसला

कंचन चौधरी भट्टाचार्य अपने पिता मदन मोहन चौधरी की पहली संतान थीं. ऐसा कहा जाता है कि मदन मोहन चौधरी एक दफा प्रॉपर्टी के एक विवाद में उलझ गए थे जिसकी वजह से उनके साथ गुंडों ने मारपीट भी की थी. उस घटना के बाद किसी भी पुलिस अधिकारी ने उनकी रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया था. (Injustice with Father inspired Kanchan Chaudhary to join Police)

इस बात से गहरे उद्वेलित होकर कंचन ने तय कर लिया था कि बड़ी होकर वे पुलिस में भारती भर्ती होंगी ताकि न्याय के लिए लड़ सकें. (Injustice with Father inspired Kanchan Chaudhary to join Police)

हिमाचल प्रदेश में जन्मीं कंचन ने अमृतसर के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वीमेन से स्नातक की डिग्री ली थी और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज से अंगरेजी साहित्य में मास्टर्स की.

जब 1989 में उनकी बहन कविता चौधरी ने उनकी जिन्दगी पर ‘उड़ान’ सीरियल बनाया था तो कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने उसमें गेस्ट आर्टिस्ट के तौर पर काम भी किया था. कला- साहित्य में गहरी दिलचस्पी रखने वाली कंचन ने कविता और थियेटर के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया था.  

आईपीस में चुने जाने के कुछ वर्षों बाद वे उत्तर प्रदेश के बरेली में पहली महिला डिप्टी जनरल इन्स्पेक्टर ऑफ़ पुलिस के रूप में नियुक्त की गईं और 2004 में उत्तराखंड की डीजीपी.

अपनी 33 साल की पुलिस सेवा में कंचन चौधरी ने बहुत सारे संवेदनशील केस निबटाये. इन में 1987 का बहुचर्चित राष्ट्रीय बैडमिन्टन चैम्पियन सैयद मोदी हत्याकांड और रिलायंस-बॉम्बे डाइंग केस शामिल थे.

साल 2004 में उन्होंने इंटरपोल की मीटिंग के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था. 1989, 1997 और 2004 में सरकार द्वारा उन्हें अलग-अलग योग्यताओं के लिए सम्मानित किया गया.

बीती रात मुम्बई में उनका देहांत होने के बाद उन्हें देश भर के अनेक संगठनों ने श्रद्धान्जलि दी है. उत्तराखंड पुलिस ने अपनी आधिकारिक ट्वीट में लिखा – “प्रदेश की पूर्व DGP श्रीमती कंचन चौधरी भट्टाचार्य, 1973 बैच की IPS अधिकारी, जो कुछ समय से बीमार चल रही थी, के निधन पर उत्तराखंड पुलिस उनके परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उत्तराखंड पुलिस में उनके द्वारा दिए गए अभूतपूर्व योगदान को याद करती है”

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