कॉलेज से दुग्ध धवल हिमालय दिखा करता था, जब कभी बादल लगे हो तो उसके न दिखने का अफसोस जरूर होता था. मोबाइल में चाहे लाख फोटो उतार लो लेकिन जैसा आंखों से दिखता वैसा मोबाइल में कहां, कैमरा होता तो मजा जरूर आ जाता. Love Story from Almora Degree Collage
स्कूल से नए-नए निकलकर, कॉलेज में गये फर्स्ट ईयर के बच्चों को पढ़ाई के अलावा हर चीज में रुचि होती है. चाहे वह क्लास की लड़कियों का नित नया फैशन ट्रेंड हो या फिर तरह-तरह के फैंसी कपड़े. आए दिन नए प्रेमी जोड़ी देखने को मिलते, रोज नए रिलेशनशिप और ब्रेकअप की खबरें.
इधर एक ब्रेकअप हुआ नहीं की उधर 10 लड़के अपनी बारी का इंतजार करते, हालांकि 1000: 926 (तब) लिंगानुपात होने के बाद भी यह सभी लड़कियां के नसीब में कहा कि हर किसी के लिए क्लास के 10 लड़के इंतजार करते हालांकि इसमें भी क्रीमिलियर जैसा कुछ सिस्टम था.
क्रीम सी सफेद, बड़ी- बड़ी आंखों वाली, इस पर लंबे बाल हों तो फिर कहने ही क्या. कुछ इसी तरह की लड़कियों के लिए दीवानगी हुआ करती थी और स्वाभाविक भी है. जब विकल्प बहुत सारे हैं और सांसारिक ज्ञान की कोई समझ अभी तक विकसित न हुई हो तो रंग रूप को प्राथमिकता देना तो तय है.
कुछ लड़कों के पास भी एक विशेष प्रकार का जादू हुआ करता था जो हर हफ्ते एक से बढ़कर एक अद्भुत सुदरियों को अपने प्रेम पाश में गिरफ्तार किये नजर आते. अन्य लड़कों को ऐसे लड़कों से अपार नफरत हुआ करती थी .तरह-तरह के टोने टोटकों का कयास लगाया जाता था.
बात सिर्फ लड़कों तक ही सीमित नहीं थी साधारण दिखने वाली लड़कियां भी इन अद्भुत सुंदरियों के आगे कहां टिक पाती. भले ही कितने ही महंगे कपड़े पहनकर आती या लेटेस्ट हेयर स्टाइल अपनाकर, शक्ल तो वहीं अपनी रहनी थी. उन लड़कियों को यह बात कभी समझ नहीं आई कि उनके घरवाले तो उन्हें अनन्य सुंदरी होने का खिताब देने से कभी नहीं चुके मगर यह कॉलेज में आकर अचानक से सारे तख्तो ताज कहां गिर कर टूट गए. अब किया भी क्या जा सकता था जैसे कट रही थी वैसे काटनी थी.
कहानी की नायिका ‘छाया’ ऊपर बताई गई दोनों श्रेणियों में बहुत अलग थी. दिखने में साधारण लेकिन जुबान उसकी असाधारण थी. कोई ऐसी बात नहीं थी जिसका पलटकर मुंह तोड़ जवाब उसके पास न था. इन रोज-रोज के ब्रेकअप में उसे कोई खासी दिलचस्पी नहीं थी लेकिन अपनी बेस्ट फ्रेंड रीता के आए दिन के नए रिलेशनशिप और ब्रेकअप से वह परेशान जरूर हो जाती थी.
अब आप ही सोचिए एक साधारण सी दिखने वाली लड़की जिसकी बेस्ट फ्रेंड एक अद्भुत सुंदरी हो, क्लास के सभी लड़के जिसको अपना बनाने का सपना देखते हों, उसका बेस्ट फ्रेंड बनना कितना मुश्किल काम था लेकिन यह दोस्ती तो स्कूल के दिनों से चली आ रही थी तो कॉलेज में जाकर भला कैसे टूट जाती.
कॉलेज जाकर तो और भी पक्की होती रही क्योंकि यहां भी दोनों के विषय एक से थे और प्रैक्टिकल में भी दोनों के रोल नंबर साथ थे, घर आना-जाना, कॉलेज में पढ़ना, प्रैक्टिकल करना और घर आते समय नित नए फ़ास्ट फ़ूड ट्राय करना, रास्ते से गुजरते लोगों का बेवज़ह मज़ाक उड़ाना और रंग रूप और बोलने के तरीके के आधार पर लोगों को अपने हिसाब से नाम रख देना और फिर अजीबोगरीब परिस्थितियों की कल्पना करना जी भर कर हँसना. इन परिस्थितियों में दोस्ती और भी मजबूत होती रही.
छाया अपनी बेस्ट फ्रेंड का हर सिचुएशन में साथ देती सिवा लव के मैटर के. उसे पहले से ही विश्वास था कि यह प्रेम-व्रेम उसके लिए नहीं बना है और न ही उसे ऐसे किसी भी चक्कर में पड़ना है. खैर, यह तो अपने दिल को समझाने के लिए, अपने आप को दिलासा दिया जाता था, अरे भाई जब अद्भुत सुंदरी को बेस्ट फ्रेंड बनाने का जोखिम लिया है तो कुछ नुकसान तो होंगे ही. मसलन कोई ही ऐसा लड़का होगा जो उसकी बेस्ट फ्रेंड को इग्नोर कर उसकी ओर एक नजर भर भी देखता. यह नई-नई जवानी का दौर था जहां चेहरे ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं.
प्रैक्टिकल शुरू हुए और हफ्ते में 2 दिन लैब जाना होता था. वह लैब सभी बच्चों को नर्क जैसा लगता था, जहां 45 मिनट तक बिना कुछ बोले बेजान उपकरणों के आगे अपनी जान झोंकनी होती थी. उस पर अलग-अलग शक्ल वाले अलग-अलग तेवरों से लबरेज, 4 टीचर पांच-पांच मिनट के अंतराल पर आकर अलग-अलग भाषा में वह लेक्चर देते थे, जिनका उस प्रैक्टिकल से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था.
कोई प्राइमरी एजुकेशन को कोसता तो कोई घर के संस्कारों की बात करता और कोई लिबरल टीचर जो इन सब से दो कदम आगे था, द्विअर्थी संवादों से कुछ कमीने लड़कों का भरपूर मनोरंजन करता. आधुनिकता का नकाब ओढ़े अपने टीचर होने की गरिमा को यूं तार-तार करता कि उस से नफरत होने लगती थी. जैसे-तैसे वह 45 मिनट बीता करते. न जाने कौन टीचर किस बात पर अपने सारे जीवन का फ्रस्ट्रेशन तुम्हारे ऊपर उड़ेल दें. छाया और रीता इस प्रैक्टिकल में भी पार्टनर थे. कुछ टीचर रीता की सुंदरता पर मुग्ध हो उससे अच्छे लहजे में बात करते. खासतौर पर वो टीचर जिनके अभी शादी नहीं हुई थी.
अब इस प्रैक्टिकल लैब में एक अनोखी सी बात होने लगी एक लड़का जो दिखने में काफी अच्छा था और पढ़ने में भी अच्छा लगता था, छाया को लगातार टकटकी बांधे देखा करता था क्योंकि पहले भी बताया जा चुका है कि छाया दिखने में साधारण थी लेकिन अन्य तरीकों से असाधारण. उसे देखते ही वह तुरंत समझ गई कि वह उसे नहीं बल्कि उसकी बेस्ट फ्रेंड को देख रहा होगा. वैसे भी बगल में सहेली के खड़े होते हुए यह बात सोचना भी पाप है कि कोई उसे देखेगा.
हफ्ते में दो ही दिन प्रैक्टिकल होता था तो यह 2 दिन जैसे-तैसे कट ही जाते थे. इन प्रैक्टिकल में अब्सेंट होने के बारे में सोचना भी अपराध था, सीधे फेल करने की धमकी आती थी. बेचारे नए-नए कॉलेज गए बच्चे इस धमकी को सच मान लेते थे तो दिल में पत्थर रख कर हफ्ते के 2 दिन सबसे मनहूस दिनों को काटना पड़ता था. दूसरा हफ्ता आया और यह प्रैक्टिकल भी आया. इस बार फिर से उस लड़के की निगाहें बार-बार छाया की तरफ ही थी छाया शुरू-शुरू में इसे अनदेखा करती रही मगर फिर उसने अपनी दोस्त से कहा – देख तो उसे जानती है क्या?
नहीं तो. तू जानती है क्या? रीता बोली
मैं कैसे जानती हूँ? जानती तो बता न देती? छाया ने कहा
रीता बोली – देखने में तो अच्छा ही है.
दोनों सहेलियां जालिम टीचरों के डर से धीमे से मुस्कुराई. कोई और जगह होती तो वह गला फाड़-फाड़ कर हंसती.
छाया – तुझे पता है, वह रोज हमारी ओर ही देखता है. तुझे ही देखता होगा.
रीता- मुझे क्यों देखता होगा, तुझे देखता है.
छाया- अरे पागल ! किसी ने मुझे आज तक देखा जो अब देखेगा.
रीता- तो क्या अब नहीं तो कब देखेगा. वैसे भी अगर वो मुझे देखता तो कब का कह चुका होता. शायद तुझसे डर रा होगा तू सबको उल्टा जवाब दे देती है न.
यह बात सुनकर छाया के होश उड़ गए. अगर बेस्ट फ्रेंड किसी बात को कह दे तो उसको और अधिक बल मिल जाता है और फिर दिल की बातों पर तो तभी यकीं आता है जब उन्हें कोई और पुख्ता करें. बड़ी मुश्किल से हफ्ते के ये 2 दिन बीते और यह लड़के वाली बात कर फिर दोबारा ज़िक्र नहीं हुआ.
नया हफ्ता आया और फिर से यह 2 दिन आए लेकिन इस बार एक नई उत्सुकता थी. प्रैक्टिकल समय पर शुरू हुआ और सड़े लेक्चर्स के बाद सभी अपने अपने उपकरणों के आगे खड़े हो गए. छाया न, जैसे ही उस लड़के की ओर देखा तो, वह भी लगातार इधर ही टकटकी बांधे न जाने कब से देख रहा था. अब छाया झेंप गयी. उसने जब दुबारा उस लड़के की ओर देखा तो इस बार वह मुस्कुराने लगा. छाया को कुछ समझ नहीं आया तो वह भी मुस्कुराने लगी. इस प्रकार आज प्रेक्टिकल लुका छुपी में बीत गया. Love Story from Almora Degree Collage
रास्ते भर छाया के मन में उसी का ख्याल रहा. हालांकि उसने रीता को कुछ नहीं बताया लेकिन रह-रह कर बस आज की बातें याद आ रही थी. कभी सोचती कि वह मुझे क्यों देखेगा फिर कभी सोचती कि इस दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें बाहरी सुंदरता की बजाय मन की सुंदरता आकर्षित करती है.
कोई अपने मन को लाख समझाए लेकिन प्रेम का थोड़ा सा आश्रय पाने पर मन कल्पना की उड़ानें भरने लगता ही है. ऊपर से इस उम्र का ये मन, सारे लॉजिक के जूते खोलकर प्रेम की ठंडी नदी में पैर डालकर घंटों बैठे रहना चाहता है. भले ही उस नदी के जोंक के काटने पर जीवन भर मन पर उसका घाव बना रहे .किसे परवाह है .
ऐसे ही सोचते सोचते रात कट गई और वह दूसरा दिन आया जो आमतौर पर मनहूस हुआ करता था, लेकिन आज मनहूस नहीं लग रहा था. उसे देखने की उमंग में पैर जमीन पर न पड़कर न जाने कौन सी दिशा में जा रहे थे. रह-रहकर दिल की धड़कन तेज हो जाती और गाल भी लाल हो जाते.
जाते ही छाया ने सबसे पहले अपने दिल की बात अपने बेस्ट फ्रेंड को बता डाली कि कैसे रात कटी, कैसे दिन आया वगैरह-वगैरह. अब दिक्कत यह थी कि उस लड़के से बात कैसे की जाए. न तो नाम पता था और न ही कोई ऐसा दोस्त था जो उसका भी दोस्त हो और इनका भी. उन दिनों मोबाइल इतने आम नहीं थे, कुछ लोगों के पास ही हुआ करते थे. उसी मोबाइल पर लाखों मिन्नतों के बाद एक फेसबुक आईडी बनाकर भूल जाना होता था. कभी पासवर्ड याद रह गया तो ठीक वरना फिर से एक आईडी बनवाने के लिए किसी भरोसेमंद की खुशामद करनी पड़ती थी. लेकिन छाया इस मामले में खुश किस्मत थी क्योंकि उसकी बेस्ट फ्रेंड के पास उस समय का लेटेस्ट स्मार्टफोन था और उसमें उसकी बेस्ट फ्रेंड धड़ल्ले से फेसबुक चलाती थी. हजारों हजार फ्रेंड रिक्वेस्ट पेंडिंग रहती थी तो सैकड़ों मैसेज बिना पढ़े पड़े रहते थे.
यह मोबाइल रीता को ,उसके किसी भूतपूर्व प्रेमी ने गिफ्ट किया था. अब उससे प्रेम रहा नहीं तो क्या मोबाइल भी फेंक दें? बिल्कुल नहीं, ये तो बेवकूफ वाली बात हो गई. प्रेमी प्यार करने के लिए होता है और मोबाइल यूज करने के लिए. प्रेमी बदल गया तो क्या मोबाइल थोड़ी बदला जा सकता था और यह भी कोई जरूरी नहीं था कि हर प्रेमी इतना ही दिलदार हो कि खुद ही मोबाइल ला कर दे और हाउ टू यूज भी सिखाए.
छाया ने आज जब प्रैक्टिकल लैब ने अपना कदम रखा तो धड़कने मुँह को आ गई और पैर बिल्कुल अजीब तरीके से कांपने लगे. इन 17 वर्षों में ऐसा तो कभी नहीं हुआ था. ऐसा लगने लगा जैसे क्लास के सभी लोग उसी की तरफ देख रहे हैं. आज प्रैक्टिकल में अभी एक अजीब सी बात हुई आज किसी टीचर ने अपने मुंह से कोई सड़ी हुई बात नहीं निकाली, प्रैक्टिकल समझा कर वह चले गए. सब फिर से अपनी-अपनी जगहों पर आ गए. दिल को थाम कर, पेट में उड़ती तितलियों को किसी तरह रोक कर, चोर निगाहों से जैसे ही छाया ने उस लड़के को देखा तो वही हुआ जो अपेक्षित था. वह भी अपनी चित् परिचित अंदाज में छाया को देखे जा रहा था. अब तो जीना और भी मुश्किल था, उस की ओर देखे या न देखे.
न देखे तो चैन नहीं आता और देखे तो बेचैनी और भी बढे. छि! यह भी कोई जिंदगी है कमबख्त नाम तक पता नहीं है. फिर छाया अपनी दोस्त की ओर देखती है और उसकी दोस्त उसे कोहनी मारकर आंखों-आंखों में वह कह जाती है जो दुनिया में दो सहेलियों के अलावा कोई तीसरा नहीं समझ सकता. फिर दोनों धीमे से मुस्कुराने लगे और उस लड़के को देखने लगे थे, वह भी उस मुस्कुराहट का भागीदार बनकर मन ही मन मरा जा रहा था.
ऐसे वक्त में दोस्त ही सबसे बड़े मददगार और सहयोगी होते हैं प्यार के अहसास को पानी देने के साथ ही साथ उसकी बेल को आगे बढ़ाने के लिए सहारा भी देते हैं .छाया से रीता ने कहा तू चिंता मत कर मैं अपने बॉयफ्रेंड से बोल कर इसका नाम पता कर दूंगी. फिर तुम दोनों फेसबुक पर बात करना. दरअसल रीता का वर्तमान बॉयफ्रेंड उसी क्लास का छात्र था तो गुमनाम का पता करने के लिए बस उसका हुलिया देना और सब्जेक्ट ग्रुप बताना काफी था. लड़कों की अपने साथ के लड़कों के बीच पहचान में पकड़ काफी मजबूत होती है.
इस हफ्ते के प्रैक्टिकल वाले 2 दिन निकल गए और तीसरे दिन कहानी के उस लड़के का नाम भी पता चल गया. अब रीता ने छाया की फेसबुक आईडी बना दी थी और उस लड़के को फ़्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी. अब छाया और भी बेचैन रहने लगी कि कब वह उस रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करें और कब बातों का सिलसिला शुरू हो. छाया के पास मोबाइल तो नहीं था तो जिस समय वह अपनी दोस्त के साथ कॉलेज में होती थी बस उतने ही समय वह एक बार फेसबुक लॉगिन करके देख लेती कि रिक्वेस्ट एक्सेप्ट हुई कि नहीं.
यह इंतजार के पल भी एक-एक क्षण मन में 100 तरह के सवाल उत्पन्न करते हैं. छाया चुपचाप हिमालय की तरह देखने लगी आज वह उसे और भी ज्यादा चमकीला दिख रहा था. कल्पनाओं की उड़ान भरे मन सोचने लगा कि क्या कभी वह और वह लड़का उस हिमालय की चोटियों में एक साथ जाएंगे. यह मासूम जवानी के हजार सपने. नाम न पता, सपनों में जीने की खता.
खैर, पूरे 2 दिन के घनघोर इतंज़ार के बाद रिक्वेस्ट एक्सेप्ट हुई और साथ ही हेलो मैसेज भी आया. अब जब उस ओर से रेस्पॉन्स मिला तो इतराना तो लाजमी था. अब छाया को अपने पर थोड़ा गुरूर होना लगा था, सोचने लगी कि मैं भी कोई कम सुंदर तो नहीं हूं. हां इतनी ज्यादा भी नहीं हूं पर ठीक हूं. हो सकता है कि वह मेरी किसी बात पर मुझे पसंद करता हो. जवाब में उसने भी हाय लिख दिया. पूरे 2 घंटे इंतजार करने के बाद थक कर छाया अपने घर वापस आ गई और अगले दिन का इंतजार करने लगी. नए-नए प्यार में गिरफ्तार हुई लड़कियां खाना पीना छोड़ कर न जाने कौन से जादू के सहारे इंतजार के दिनों को काट जाती हैं और ये उनके चेहरे को एक अलग लालिमा से भर देता है. जिसे बस करीब से जाने वाले ही पढ़ पाते हैं.
दूसरे दिन रीता से मिलते ही फेसबुक खोलकर देखा तो वहां उस लड़के का एक मैसेज था जिसको पढ़ कर दिल में न जाने कौन सा जनरेटर ऑन हो गया. लिखा था- तुमसे एक बात पूछनी थी. इस मैसेज को पढ़कर दोनों सहेलियों को इस बात का ऐतबार हो गया कि जो बात पूछनी थी, वही थी जिसका इंतजार इतने दिनों से उन्हें भी था. ‘हां पूछो’ छाया ने लिख दिया लेकिन फिर वही दिक्कत वह लड़का ऑनलाइन नहीं था तो उसका इंतजार करते-करते फिर से कॉलेज का समय खत्म हो गया और फिर दोनों सहेलियां अपने अपने घरों को चली गईं.
छाया सोचने लगी कि यह लड़का केवल प्रैक्टिकल के दिन ही अपनी शक्ल दिखाता है और दिनों तो कॉलेज में इसकी कहीं नामोनिशान नहीं दिखता जबकि और लड़के हर दिन कॉलेज में दिखाई पड़ते हैं. वैसे भी जिसको मन चाहता है उसके अलावा और सब दिखाई पड़ ही जाते हैं अगले दिन प्रैक्टिकल वाला वो दिन आ गया और आज छाया पहली बार फेसबुक से बात करने के बाद उसे देखने वाली थी. मन ही मन उसे बहुत शर्म आ रही थी, लैब में आने के बाद दोनों ने एक दूसरे को देखा. आज का देखना बहुत अलग लग रहा था. आज कुछ अलग बात थी, आज के 45 मिनट ऐसे लगे मानों 5 मिनट. Love Story from Almora Degree Collage
प्रैक्टिकल खत्म हुआ लेकिन कोई बात नहीं हो पाई फेसबुक खोला तो देखा कि वहां उसका एक मैसेज था और उसने लिखा था कि कल प्रैक्टिकल के बाद लैब के बाहर मुझे मिलना प्लीज. छाया ने ओके लिख दिया. अब पहले प्यार की नई-नई तरंगें मन में हिलोरें मारने लगी थी. 100 बार कल होने वाले दृश्य की कल्पना की जा चुकी थी, नींद का कहीं अता पता न था. न जाने कैसे रात गुजरी सुबह छाया उठी और अपना सबसे अच्छा ड्रेस पहना उसी से मिलते इयररिंग्स पहनकर तैयार हो गयी. ऐसा लग रहा था कि आज अगर दुनिया में सबसे खूबसूरत कोई है, तो वही है. कब घर से कॉलेज पहुंची पता ही नहीं चला.
प्रैक्टिकल लैब में वो लड़का मिला और वही आंखों के इशारे और मिलने की बेचैनी. प्रैक्टिकल खत्म होने के बाद अब दोनों के मिलने का समय आया. पूरी क्लास जा चुकी थी. छाया,रीता और वह लड़का ही रह गए थे. रीता ने छाया की ओर शरारती हंसी से देखा और चली गई. अचानक छाया की धड़कन तेज होने लगी और उसकी निगाहें जमीन में गड़ गई. आज न जाने सारी हिम्मत कहां गायब हो गई. हाथ पांव कांपने लगे. वह लड़का बोला- एक बात पूछूं प्लीज बुरा मत मानना .
छाया- अरे बुरा क्यों? कहो तो सही .
लड़का -प्लीज मुझे गलत मत समझना.
छाया -अरे कहो न.
लड़का- वह मुझे ना तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड बहुत पसंद है, लेकिन उसका बॉयफ्रेंड है तो मैं उससे कुछ नहीं कह पाता. मैंने उसे फेसबुक पे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी लेकिन उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया. सब लोग कहते हैं कि तुम उसकी बेस्ट फ्रेंड हो हमेशा साथ रहती हो, तो मैंने सोचा कि तुमसे बात करके बात बन जाए. प्लीज उससे कह देना कि मैं उसे पसंद करता हूं, और मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ले. मैं बस उसी को देखने के लिए ही प्रैक्टिकल में आता हूं.
छाया – ठीक है कह दूंगी .
इतना कहने के बाद दोनों अपने-अपने रास्तों को चले गए. एक प्यार जो कभी था ही नहीं शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया.
छाया के आने के बाद उसकी बेस्ट फ्रेंड ने पूरी उत्सुकता से पूछा बता क्या हुआ जल्दी बता. छाया बोली- अरे पागल वह तो तुझे लाइक करता है कह रहा था तुझ से कह देना कि मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेना.
वैसे भी मुझे इन चीजों से कोई लेना-देना है नहीं यार, मुझे झमेलों में पड़ना ही नहीं है छाया एक बार फिर बुदबुदाई.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
अल्मोड़ा की रहने वाली ज्योति भट्ट विधि से स्नातक हैं. ज्योति फिलहाल आकाशवाणी अल्मोड़ा में कार्यरत हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
View Comments
आजतक इतना जीवंत चित्रण नहीं सुना इस पर एक शॉर्ट फिल्म बन सकती है
बहुत ख़ूब
अगले संस्करण का इंतज़ार है .....
Very nice ......jyoti ....keep it up ....??
बहुत बढ़िया लिखा है। दिल को छू गया। ??????♥️
Seems, giving very live experience. A quite sensitive story. Best of luck!?
Nice
Nice
Behtarin Jyoti
बेहतरीन कहानी
Very Nice Story Bhatt Ji..