सर्दियाँ शुरू होते ही कॉर्बेट पार्क, रामनगर व इसके आसपास प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों के अलावा तिब्बत से भी कई पक्षी रामनगर के आसपास जुटना शुरू हो जाते हैं. प्रवासी पक्षियों के शीतकालीन प्रवास पर यहां आने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है. (Ibisbill Bird Corbett Park)
हर साल की तरह इस साल भी आइबिस्बिल पक्षी अपने सालाना प्रवास में रामनगर और इसके आसपास पहुँच चुकी हैं. उच्च हिमालयी क्षेत्रों की नदियों में बर्फ जमने के कारण ये पक्षी निचले कम ठन्डे स्थानों का रुख करते हैं. यहां इन्हें भोजन की कमी नहीं होती है.
ये हल्की गति से बहने वाली नदियों की धाराओं के किनारे, जहां रेत, मिट्टी और पत्थर एक साथ होते हैं, रुक कर भोजन तलाश करते हैं. ये छोटे कंकर-पत्थरों के नीचे छिपे कीड़े-मकौड़े उनके लार्वा, शैवाल, काई और विभिन्न प्रकार के पौष्टिक छोटे पौधों को खाते हैं.
आइबिस्बिल अन्य प्रवासी पक्षियों के साथ यहाँ नवम्बर से लेकर मार्च तक पड़ाव डालते हैं. शीतकाल के बाद बर्फ के पिघलते ही ये वापस उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अपने घरों की तरफ लौट जाते हैं. आइबिस्बिल बहुत ही दुर्लभ पक्षी है. आइबिस्बिल छद्मावरण में माहिर होती है. इसी वजह से इन्हें आसानी से ढूंढ पाना मुश्किल होता है.
आइबिस्बिल के रामनगर कोसी बैराज, कोसी व रामगंगा नदी के तट और तुमड़िया डैम के पास मिला करती हैं. ये बर्ड वॉचरों के साथ ही सैलानियों की भी पहली पसंद होती है. बर्ड वाचर और सैलानी उत्सुकता के साथ इन शर्मीले और छिपने में माहिर पक्षियों की ढूँढ-खोज में लगे रहते हैं.
2012 में पवलगढ़ कंजरवेशन ने प्रवासी पक्षी आइबिसबिल विषय पर एक फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया. दीप इस प्रतियोगिता में अव्वल रहे. फिर क्या था इस कामयाबी ने हौसले को और परवान चढ़ाया. अब दीप वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के तौर पर इस क्षेत्र के महारथियों के बीच भी पहचाने जाने लगे. विस्तार से पढ़ें
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…
देह तोड़ी है एक रिश्ते ने… आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…