उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी कस्बे मसूरी को पहाड़ों की राजधानी भी कहा जाता है. मसूरी उत्तराखण्ड का सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, यहाँ हर साल सबसे ज्यादा सैलानी आया करते हैं. राजधानी देहरादून से मसूरी की दूरी 35 किमी है. यह समुद्र तल से 6500 फीट की ऊंचाई पर बसा साल भर ठंडा रहने वाला पहाड़ी क़स्बा है. बताते हैं कि यहाँ बड़े पैमाने पर उगने वाले मंसूर के पौधे के कारण इसे पहले मन्सूरी फिर मसूरी कहा जाने लगा.
1823 से पहले मसूरी एक निर्जन पहाड़ हुआ करता था. 1823 में अंग्रेज प्रशासनिक अफसर एफ.जे. शोर यहाँ पहुंचे उनके दोस्त साहसिक मिलट्री अधिकारी कैप्टन यंग भी साथ थे. वे पर्वतारोहण करते हुए इस जगह पहुंचे जहाँ से दून घाटी का मनोरन दृश्य दिखाई देता था. इस जगह के प्राकृतिक सौन्दर्य से मोहित होकर उन्होंने कैमल बैक की ढलान पर शिकार के लिए एक मचान बनाने का फैसला किया.
इसके कुछ समय बाद यहाँ अंग्रेजों ने पहला भवन बनाया. 1828 में लंढौर बाजार की बुनियाद रखी गयी. 1829 में मि. लॉरेंस ने लंढौर बाजार में यहाँ पर पहली दुकान खोली. जिस जगह पर यह दुकान खोली गयी वहां पर मसूरी का मुख्य डाकखाना है. अंग्रेजों द्वारा बसाये गए अन्य पहाड़ी नगरों की तरह ही इसका मुख्य हिस्सा भी माल कहलाता है. पहले यह माल रोड पिक्चर पैलेस से पब्लिक लाइब्रेरी तक हुआ करता था. ब्रिटिश भारत की माल रोड में भी भारतीय और कुत्तों को प्रवेश की अनुमति नहीं का बोर्ड लगा रहता था. कहते हैं कि मोतीलाल नेहरू अपने मसूरी प्रवास में रोज इस नियम को भंग किया करते थे.
1832 में भारत सरकार के सर्वेयर सर जार्ज एवरेस्ट ने यहाँ पर ट्रिगनोमैट्रिकल सर्वे का दफ्तर बनाया गया.
जॉन मैकिनन ने यहाँ पर मसूरी सेमिनरी के नाम से पहला पब्लिक स्कूल स्थापित किया.
1890 में हरिद्वार देहरादून रेलमार्ग का निर्माण हुआ. इसके बाद मसूरी की लोकप्रियता बढ़ती गयी.
1901 में यहाँ 4471 की कुल आबादी का 78 फीसदी ब्रिटिश हुआ करते थे.
1926-31 के बीच मसूरी तक पक्की सड़क पहुंचा दी गयी. इसके बाद यहाँ तेजी से बसासत बढ़ने लगी.
आजाद भारत में, 1959 में राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की स्थापना यहाँ पर की गयी. 1970 में लाइब्रेरी बाजार से गनहिल तक रोपवे का निर्माण किया गया.
तिब्बत की पहली निर्वासित सरकार भी मसूरी में ही बनायी गयी थी जिसे बाद में हिमाचल प्रदेश स्थानांतरित कर दिया गया.
आज मसूरी एक पर्यटन स्थल के तौर पर पूरी दुनिया में जाना जाता है. कुलड़ी बाजार, लंढौर बाजार, लाइब्रेरी बाजार यहाँ के प्रमुख बाजार हैं.
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