भारत के अलग-अलग भागों में मंचन की जाने वाली रामलीलाओं में एक मुख्य समानता महिलाओं की सीमित भागीदारी होती है. रामलीला में महिला पात्र के किरदार तक पुरुषों द्वारा ही किये जाते हैं. लेकिन इसी वर्ष जून 2018 के प्रथम सप्ताह में उत्तराखंड के अगस्त्यमुनि में केवल महिलाओं द्वारा अभिनीत ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन किया गया.
केदार-बदरी मानव श्रम समिति एवं भारत स्वाभिमान रुदप्रयाग के तत्वावधान में प्रारंभ 11 दिन तक चली इस रामलीला के अभिनय में 72 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की महिलाओं ने भाग लिया.
रामलीला के मुख्य पात्रों में कंडारा गांव की विलोचना देवी राम, बावई गांव की आरती गुसाईं सीता, ग्वाई कर्णप्रयाग की बीरा फरस्वाण लक्ष्मण, कर्णप्रयाग की लक्ष्मी रावत रावण और कल्पेश्वरी देवी भरत, अगस्त्यमुनि की सतेश्वरी रौथाण मेघनाथ, बावई गांव की मीना राणा सुलोचना का किरदार निभाया. इसके अलावा लक्ष्मी शाह सबरी और मंथरा, राजेश्वरी पंवार दशरथ, राजश्री भंडारी विभिषण, पुष्पा रावत कैकयी, कुसुम भट्ट ऋषि वशिष्ठ की भूमिका में नजर आई. 13 वर्षीय अदिति रौथाण शत्रुघन और 10 वर्षीय दीया राणा गणेश का पात्र बनी थी.
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप सेमवाल ने इस रामलीला के आयोजन हेतु स्थान उपलब्ध करने में अपना योगदान दिया. उनके अनुसार इस प्रयास को जनता ने खूब सराहा है. उन्होंने बताया कि 11 दिनों तक चली इस रामलीला को देखने अगस्त्यमुनि के अलावा तिलवाडा, विजनगर, बनियाडी, जवाहरनगर, सौडी, रामपुर, चाका, फलाटीसमेत कई स्थानों से लोग आये थे. सोशियल मिडिया में भी इस रामलीला को खूब सराहा गया.
अनूप सेमवाल ने बताया की इस रामलीला में हनुमान के पात्र को छोड़कर सभी पात्र महिलाओं द्वारा किये गये थे. रामलीला का निर्देशन चंद्रप्रकाश सेमवाल और विपिन द्वारा किया गया. संगीत में भी दोनों ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
काफल ट्री को रामलीला से जुड़ी कुछ तस्वीरें अनूप सेमवाल ने भेजी हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…