त्यौर पहाड़,म्यौर पहाड़
(Heera Singh Rana Uttarakhand Birthday)
रौय दुखों कु ड्यौर पहाड़
बुजुरगूं लै ज्वौड़ पहाड़
राजनीति लै ट्वौड़ पहाड़
ठेकेदारुं लै फ़्वौड़ पहाड़
नानतिनू लै छ्वौड़ पहाड़
ग्वल न गुसैं,घेर न बाड़
त्यौर पहाड़,म्यौर पहाड़…
उत्तराखंड की स्थिति पर इससे बेहतर और क्या लिखा जा सकता है. वर्तमान उत्तराखंड की हकीकत यही है कि बुजुर्गों के जोड़े पहाड़ को राजनीति ने तोडा है, ठेकेदारों न फोड़ा है और नौजवानों ने छोड़ा है. मंच से अनेक बार पहाड़ से जुड़े ऐसे गीत गाने वाले हीरा सिंह राणा का जन्मदिन है आज.
म्यर मानिला डानी त्यर बलाई ल्यून, आजकल हैरे जवाना मेरी नवेली पराणा, बिंदी घाघरी काय धोती लाल किनारो वाई जैसे लोकप्रिय गीत गाने वाले हीरा सिंह राणा का जन्म मनीला के डढूली गांव में 16 सितंबर 1942 को मोहन सिंह और नारंगी देवी के घर में हुआ. हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के उन कलाकारों में से हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड की लोक संस्कृति को समर्पित किया.
(Heera Singh Rana Uttarakhand Birthday)
हीरा सिंह राणा ने 70 के दशक में हीरा सिंह राणा ने कालजयी गीतों से अपनी पहचान बनाई. देश विदेश में विभिन्न मंचों तक उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पहुंचाया. 1987 में प्यूली व बुराशं नाम से उनका कविता संग्रह प्रकाशित हुआ. उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान उनके जनगीत लस्का कमर बॉदा हिम्मत क साथा, भोल फिर उजियाली होली कालै रैली राता ने राज्य आंदोलन में एक नई ऊर्जा का संचार किया.
हीरा सिंह राणा के गीतों में पहाड़ बसता है. कहीं गीतों में पहाड़ पर पड़ने वाली धूप से उपजा श्रृंगार है तो कहीं बंजर पड़े पहाड़ की पीड़ा है. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद चली लूस-खसोट और खोखले विकास पर दुःख और टीस उनके गीतों में सहज दिखती है. हीरा सिंह राणा के जन्मदिन पर आज उनके गीत की यह पंक्ति खूब याद आती है-
कैक तरक्की कैक विकास
हर आँखा में आंस ही आंस
जे.ई कैजां बिल के पास
ए.ई मारूँ पैसों गास
अटैच्यू में भौरो पहाड़…
यानी किसकी तरक्की किसका विकास, हर आंख में बस उम्मीद ही उम्मीद है, जेई बिल पास करता है और एई पैसों का गास कहता है अटैची में भरा हुआ है पहाड़.
(Heera Singh Rana Uttarakhand Birthday)
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