ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह उत्तराखंड के गांव बुरायला की है. चार कंधे, दो बांस की डंडियों के ऊपर लाल कम्बल में लेटी हुई महिला की यह तस्वीर उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के विषय में अपने आप सब कुछ कह देती है.
यह गांव उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 132 किमी की दूरी पर है. सरकार नये नये वादे करती है नये नये रिकार्ड गिनती है लेकिन यह तस्वीर उन वादों और रिकार्ड की सारी पोल खोल देती है.
अमर उजाला में छपी आज कि खबर के अनुसार चकराता तहसील के गांव बुरायला की रीना चौहान ने कुछ दिन पहले ही घर पर एक बच्चे को जन्म दिया था. प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव के कारण कल गांव वाले उन्हें अस्पताल लेकर गये. गांव की सड़क से दूरी 14 किमी है. 14 किमी दूरी पर स्थित यह सड़क खड़ी चड़ाई आर स्थित है.
जब रीना चौहान को गांव वाले सड़क पर ले आये उसके करीब एक घंटे बाद 108 पहुंची जबकि उसे सूचना पहले ही दे दी गयी थी. 72 किमी की दूरी तय कर जब रीना चौहान विकासनगर सीएचसी पहुंची तो उन्हें देहरादून के अस्पताल भेज दिया गया. विकासनगर से देहरादून की दूरी 45 किमी है. फिलहाल रीना देहरादून के श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में हैं जहां उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही है.
इस गांव के लिये सड़क की स्वीकृति दी जा चुकी है लेकिन अभी तक सड़क नहीं बनी है. गांव वालों के अनुसार उन्होंने अनेक बार शासन को लिखा है लेकिन उनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है.
जब राजधानी के इतने करीब के गांव में स्वास्थ्य सुविधा के इतने बुरे हाल हैं तो जाहिर है कि दूरस्थ गावों के हाल कितने बुरे होते होंगे. ऐसी एक न एक घटना हमें रोज अखबारों में पढ़ने को मिलती है जो उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर करोडों खर्च करने की बातों की पोल खोलती हैं.
-काफल ट्री डेस्क
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