हैडलाइन्स

बांस के डंडों और ग्रामीणों के कन्धों पर चल रही है उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था

ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह उत्तराखंड के गांव बुरायला की है. चार कंधे, दो बांस की डंडियों के ऊपर लाल कम्बल में लेटी हुई महिला की यह तस्वीर उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के विषय में अपने आप सब कुछ कह देती है.

यह गांव उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 132 किमी की दूरी पर है. सरकार नये नये वादे करती है नये नये रिकार्ड गिनती है लेकिन यह तस्वीर उन वादों और रिकार्ड की सारी पोल खोल देती है.

फोटो : Lusun Todariya की फेसबुक वाल से साभार

अमर उजाला में छपी आज कि खबर के अनुसार चकराता तहसील के गांव बुरायला की रीना चौहान ने कुछ दिन पहले ही घर पर एक बच्चे को जन्म दिया था. प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव के कारण कल गांव वाले उन्हें अस्पताल लेकर गये. गांव की सड़क से दूरी 14 किमी है. 14 किमी दूरी पर स्थित यह सड़क खड़ी चड़ाई आर स्थित है.

जब रीना चौहान को गांव वाले सड़क पर ले आये उसके करीब एक घंटे बाद 108 पहुंची जबकि उसे सूचना पहले ही दे दी गयी थी. 72 किमी की दूरी तय कर जब रीना चौहान विकासनगर सीएचसी पहुंची तो उन्हें देहरादून के अस्पताल भेज दिया गया. विकासनगर से देहरादून की दूरी 45 किमी है. फिलहाल रीना देहरादून के श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में हैं जहां उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही है.

फोटो : Lusun Todariya की फेसबुक वाल से साभार

इस गांव के लिये सड़क की स्वीकृति दी जा चुकी है लेकिन अभी तक सड़क नहीं बनी है. गांव वालों के अनुसार उन्होंने अनेक बार शासन को लिखा है लेकिन उनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है.

जब राजधानी के इतने करीब के गांव में स्वास्थ्य सुविधा के इतने बुरे हाल हैं तो जाहिर है कि दूरस्थ गावों के हाल कितने बुरे होते होंगे. ऐसी एक न एक घटना हमें रोज अखबारों में पढ़ने को मिलती है जो उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर करोडों खर्च करने की बातों की पोल खोलती हैं.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

3 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

3 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago