समाज

हरेला कब बोते हैं

हरेला प्रकृति से जुड़ा एक लोकपर्व है जो उत्तराखंड के पहाड़ी समाज द्वारा मनाये जाने वाले पर्वों में सबसे महत्वपूर्ण है. उत्तराखंड का पहाड़ी समाज हरेला साल में तीन बार मनाता है. यह इस वर्ष का दूसरा हरेला है जो सावन के महीने लगने से कुछ दिन पहले असौज के महीने में बोया जाता है. संक्रांति के दिन हरेला काटा जाता है.
(Harela Festival 2022)

 हिन्दू वर्ष पम्परा या स्थानीय भाषा में कहें गते के अनुसार मनाये जाने के कारण हर वर्ष लोगों में असमंजस रहता है कि आखिर हरेला किस दिन बोया जाना है और किस दिन काटा जाना है. इस असमंजस का एक अन्य कारण और है.

कुछ जगह हरेला 11वें दिन काटा जाता है तो कुछ जगह 10वें दिन. लोग अपने अपने गांव की परम्परा के अनुसार हरेला बोते और काटते हैं. यही वह कारण है जिसकी वजह से हरेला दो अलग-अलग दिन बोया जाता है.

मसलन 2022 में जो लोग यह मानते हैं कि हरेला 11वें दिन काटा जाना चाहिये वह 6 जुलाई के दिन हरेला बोयेंगे और जो लोग यह मानते हैं कि हरेला 10वें दिन काटा जाना चाहिये वह 7 जुलाई के दिन हरेला बोयेंगे. हरेला काटा संक्रांति के दिन ही जाता है.
(Harela Festival 2022)

हरेला एक कृषि पर्व है जो घर में सुख, समृद्धि व शान्ति के लिए बोया व काटा जाता है. हरेला बोने के लिये एक टोकरी में मिट्टी ली जाती है. इसमें पांच या सात प्रकार के अनाज के बीज बोये जाते हैं. यह अनाज हैं जौ, गेहूं, मक्का, गहत, सरसों, उड़द और भट्ट. पहले यह टोकरी रिंगाल की होती थे लेकिन समय के साथ इसमें भी परिवर्तन आया है.

हरेला पर्व का एक वैज्ञानिक पक्ष यह हो सकता है माना जाता है कि व्यक्ति अपने खेत की मिट्टी का कुछ हिस्सा लेता है उसमें सभी प्रकार के अनाज के बीज डालता है और उसके बाद इस बात का अनुमान लगाता है कि उस वर्ष कौन सी फसल अच्छी हो सकती है.
(Harela Festival 2022)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

18 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago