कला साहित्य

अंगरेजों ने अल्मोड़े का नक्शा औरै और किया

कुमाऊँ के आदिकवि माने जाने वाले लोकरत्न गुमानी से का जन्म 1790 ई. माना गया है. गुमानी के पूर्वज पिथौरागढ़ जिले के गंगोल क्षेत्र में उप्राड़ा गांव के थे. इस लिहाज से जब कवि गुमानी ने कविता लिखना शुरु किया होगा तब कुमाऊं प्रदेश में गोरखाओं का शासन खत्म हुआ होगा और ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन शुरु हुआ होगा. गार्डनर, ट्रेल या फिर लसिंग्टन उनके युग के कुमाऊं कमिश्नर रहे होंगे. (Gumani Pant Poems on Brtish Raj)

गुमानी ने अपनी सहज काव्य प्रतिभा के माध्यम से अंग्रेजों के राज पर तीखे व्यंग्य करते हुए न केवल अपने समय को दर्ज किया, उन्होंने जनमानस को परतंत्रता के खिलाफ सचेत करने का बड़ा काम भी किया. (Gumani Pant Poems on Brtish Raj) प्रस्तुत हैं इस थीम पर उनकी कुछ कविताएं:

लोकरत्न गुमानी पन्त

1.

विलायत जल का रास्ता करा जहाज़ सवारी है
सारे हिन्दुस्तान भरे की धरती वश कर डारी है
और बड़े शाहों में सबमें धाक बड़ी कुछ भारी है
कहे गुमानी धन्य फिरंगी तेरी क़िस्मत न्यारी है

2.

विद्या की जो बढ़ती होती, फूट न होती राजन में
हिंदुस्तान असंभव होता बस करना लख बरसन में
कहे गुमानी अंग्रेजन से कर लो चाहो जो मन में
धरती में नहीं वीर, वीरता दिखाता तुम्हें जो रण में

3.

विलायत से चला फिरंगी पहले पहुँचा कलकत्ते
अजब टोप बन्नाती कुर्ती ना कपड़े ना कुछ लत्ते
सारा हिन्दुस्तान किया सर बिना लड़ाई कर फत्ते
कहत गुमानी कलयुग ने यो सुब्बा भेजा अलबत्ते

4.

हटो फिरंगी हटो यहाँ से 
छोड़ो भारत की ममता
संभव क्या यह हो सकता है 
होगी हम तुममें समता?

5.

विष्णु का देवाल उखाड़ा ऊपर बंगला बना खरा
महाराज का महल ढवाया बेडी खाना तहाँ धरा
मल्ले महल उड़ाई नंदा बंगलो से भी तहाँ भरा
अंगरेजों ने अल्मोड़े का नक्शा औरै और किया

6.

छोटे पे पोशाक बड़े पे ना धोती ना टोपी है
कहै गुमानी सुन ले बानी होनी है सो होती है
अँग्रेज़ के राज भरे में लोहा महंगा सोने से
दौलत खींची दुनिया की सो पानी पीवे दोने से 

7.

आई रहा कलि भूतल में
छाई रहा सब पाप निशानी
हेरत हैं पहरा कछु और ही
हेरत है कवि विप्र गुमानी

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

18 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago