प्रदेश भर में साहसिक खेलों पर लगी रोक हटने की उम्मीद जगी है. कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल ने भी अब इसकी संशोधित नियमावली को मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब उत्तराखंड में साहसिक खेल फिर से शुरू हो सकेंगे.
विगत दिनों उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में प्रदेश की सभी नदियों पर चलने वाले व्हाइट रिवर राफ्टिंग और अन्य साहसिक खेलों के साथ ही पैराग्लाइडिंग पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह दो हफ्तों के भीतर इस संबंध में एक ‘पारदर्शी नीति’ बनाए.
प्रदेश भर में अक्तूबर से एडवेंचर खुलने की आस जग गई है. नई नियमावली के तहत अब पैराग्लाइडिंग संचालकों को पर्यटन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद संपूर्ण जांच होने के बाद संचालकों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
‘उत्तराखण्ड रिवर राफ्टिंग/क्याकिंग संशोधन नियमावली-2018’ में कुछ अहम संशोधन किये गए हैं. राफ्टिंग के दौरान धूमपान और किसी भी प्रकार के नशे के सेवन प्रतिबंधित रहेगा. नदी तटों पर उपलब्ध राजस्व व वन भूमि में किसी प्रकार की पर्यटन गतिविधि के संचालन भूमि आवंटन से पहले पर्यटन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मद्देनजर गंगा में प्रदूषण रोकने को राफ्टिंग ढुलान में प्रयुक्त होने वाले वाहन नदी तट से 100 मीटर दूर रखेंगे. अब 65 साल की उम्र तक राफ्टिंग का लुत्फ उठाया जा सकेगा. पहले यह आयु सीमा 14 से 60 साल निर्धारित थी. प्रत्येक नदी में विशेष अभियानों के लिए अलग से अनुमति लेनी होगी. 16 फुट लंबी राफ्ट में आठ पर्यटक और दो गाइड ही बैठ पाएंगे. इसी प्रकार 14 फुट की राफ्ट के लिए दो गाइड समेत कुल आठ रहेगा संख्या तय की गई है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में समय बिताने के लिए देश दुनिया से लोग यहां आते हैं. लेकिन उत्तराखंड सरकार की लचर व्यवस्था के चलते राफ्टिंग और साहसिक खेलों पर पहले से ही रोक लगा दी गई थी. इस रोक से प्रदेश में 533 करोड़ से ज्यादा के नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है.
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