सरकारी अस्पतालों में दवाएं खत्म, मशीनें भी ख़राब

जिला नैनीताल के सरकारी अस्पतालों में दवाएं खत्म हो चुकी हैं. कुछ ही दवाएं सीमित मात्रा में शेष हैं. बच्चों से लेकर बड़ों तक की दवाएं ख़त्म होने से मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती है. नैनीताल जिले में भी सीएचसी ,पीएचसी के अलावा 58 यूनिटों में दवाइयों की कमी है. कुछ दवाएं पूर्ण रूप से खत्म हो चुकी है. दवाओं की खरीद स्वास्थ्य महानिदेशक के स्तर से होती है. हैरानी की बात है कि बच्चों के इलाज में प्रयोग होने वाली एंटीबायोटिक सीरप तक उपलब्ध नहीं है. साथ ही उल्टी रोकने की  दवाएं भी नहीं है. सीएससी,पीएससी  में दवाएं कम ही शेष रह गईं है. जल्द दवाओं की खरीद नहीं की गयी तो दवाओं के खत्म होने से मरीजों को दोहरी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

जिला बागेश्वर जनपद में अल्ट्रासाउंड करने आए कई दर्जनों  रोगियों को बैरंग वापस घर लौटना पड़ा. जिला अस्पताल बागेश्वर में अल्ट्रासाउंड मशीन है लेकिन रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर अवकाश पर गए हुए हैं. अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हो सकें. अल्ट्रासाउंड के लिए दूर -दराज से काफी गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार रोगी पहुंचें थे. डॉक्टर 28 अगस्त तक अवकाश पर हैं. अभी तक कोई भी अस्थायी व्यवस्था नहीं की जा सकीं है, जिसके कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा अस्पताल में कैल्शियम की दवा ख़त्म हो चुकी है. जरुरतमंदों को एक गोली तक नहीं मिल पा रही है. पुरे बागेश्वर जनपद के सभी सरकारी अस्पतालों का ऐसा ही हाल है. मरीजों को दवा बाज़ार से खरीदनें के लिए विवश होना पड़ रहा है.

मरीजों को दवाएं ख़त्म होने के अलावा आए दिन सुशीला तिवारी अस्पताल में खराब हो रही मशीनें भी मरीजों के लिए समय और आर्थिक नुकसान का कारण बन रही हैं. पिछलें कुछ दिनों में ही एमआरआई मशीन तीन बार खराब हो चुकी है. सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड की मशीनें भी कई बार खराब हो चुकी है. हज़ारों रूपये का वेतन लेनें वाले इंजीनियर एवं विशेषज्ञ आखिर अस्पताल में क्या करते हैं, सवाल बना हुआ है. बेस अस्पताल में सिटी स्कैन की मशीन लम्बे समय से खराब है. स्वास्थ्य महानिदेशक के निरिक्षण के बाद भी मशीन ठीक नहीं हो सकीं है. दवाएं कम है. कुछ जरुरी दवाएं अस्पताल नहीं है. अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हैं. गिनती भर तकनीशियन हैं. मशीनें आये दिन खराब हो रही है. सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं मरीजों के लिए संतोषजनक कार्य करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहीं है. गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुखिया स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं. जिन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार को  सरकार का मुख्य अजेंडा बताया हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • जिन्हें लगता है शासन करने वाले जमात की केवल पार्टी बदल जाने से चीजें बदल सकती हैं वे अब कहां हैं?

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

2 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

4 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

7 days ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

7 days ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

1 week ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago