जगमोहन रौतेला

आज घ्यू त्यार छू खूब घ्यू खाया हां

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आज घ्यू त्यार है. उत्तराखण्ड के दोनों अंचलों कुमाऊँ और गढ़वाल में भादो महीने की संक्रान्ति को घ्यू त्यार मनाया जाता है. गढ़वाल में इसे घी संक्रान्त कहते हैं. आज के दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. जिनमें पूरी, मॉस के दाल की पूरी व रोटी, बढ़ा, पुए, मूला-लौकी-पिनालू के गाबों की सब्जी, ककड़ी का रायता, खीर आदि बनाए जाते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन पकवानों के साथ घर का बना हुआ शुद्ध घी का सेवन अनिवार्य तौर पर किया जाता है. जो लोग साल भर कभी भी घी का सेवन नहीं करते हैं वे भी घ्यू त्यार के दिन एक चम्मच घी अवश्य ही खाते हैं.
(Ghee Sankranti Festival Uttarakhand 2023)

कुमाऊँ में पिथौरागढ़ व चम्पावत जिलों व बागेश्वर जिले के कुछ क्षेत्रों में यह त्योहार दो दिन मनाया जाता है. सावन महीने के मसान्त को जहां कुछ पकवान बनाए जाते हैं वहीं संक्रान्ति के दिन पकवानों के साथ ही चावल की गाढ़ी बकली खीर भी बनाई जाती है. जिसमें पकने के बाद खूब घी डाला जाता है.

दूसरी जगहों में यह त्योहार केवल संक्रान्ति के दिन ही मनाया जाता है. घ्यू त्यार को दिन के बजाय शाम को ही मनाते हैं. यह भी पुरानी मान्यता है कि जो इस दिन घी नहीं खाता वह अगले जन्म में गनैल ( घौंगा ) बनता है. जिसका जीवन कुछ ही दिनों का होता है. यह मान्यता क्यों है? इस बारे में कोई स्पष्ट मत नहीं है. पर घर के शुद्ध घी की तरावट व ताजगी वाला यह लोकपर्व घी खाए जाने की अनिवार्यता के कारण अपनी एक विशिष्ट पहचान तो रखता ही है. इस मौके पर सभी लोगों को घ्यू त्यार की हार्दिक शुभकामनाएँ इस कामना के साथ कि खूब घी खाएँ और साल भर शरीर में तरावट के साथ ताजगी का आनन्द लें.
(Ghee Sankranti Festival Uttarakhand 2023)

हमारे सभी लोक पर्व व त्योहार महिलाओं के कारण ही जीवित हैं. महिलाएँ त्यार-बार के दिन आवश्यक पकवान न बनाएँ तो त्योहार कैसे मनेगा? घी त्यार को सार्थक बनाने के लिए घर की महिलाओं के प्रति आभार तो बनता ही है.
(Ghee Sankranti Festival Uttarakhand 2023)

जगमोहन रौतेला

जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं.

यह लेख भी पढ़ें : जब टार्च जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा थी

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