पाकिस्तान के कब्जे में पहुंचे भारतीय वायुसैनिक विंग कमांडर अभिनंदन भारत वापस लौट रहे हैं. वह लाहौर पहुंच चुके हैं. उनके भव्य स्वागत के लिए अटारी बॉर्डर पर लाखों लोग मौजूद हैं. खबरों को मुताबिक पाकिस्तान अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट के दौरान अभिनंदन को सौंपना चाहता था लेकिन अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह आज सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया गया है. जिस जिनेवा संधि (Geneva Convention) के तहत पकिस्तान द्वारा उन्हें गिरफ्तार किये जाने के 3 दिन बाद उन्हें रिहा किया जाता है. जिनेवा संधि (Geneva Convention) में युद्ध बंदियों के लिए कई प्रावधान बनाये गए हैं.
युद्धबंदियों (Prisoner of war) के मानवाधिकारों को बनाये रखने के जिनेवा समझौते के तहत कई नियम बनाये गए हैं. जिनेवा समझौते में अलग-अलग मौके पर की गयी चार संधियां और तीन अतिरिक्त मसौदे (प्रोटोकॉल) शामिल हैं. इनका मकसद युद्ध की स्थिति में भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के कानून लागू किया जाना है. मानवता की खातिर पहली संधि 1864 में हुई थी. इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की.
जिनेवा समझौते में युद्ध के दौरान बंदी बना लिए गए सैनिकों के साथ बर्ताव को लेकर दिशा निर्देश बनाए गए हैं. इसमें युद्धबंदियों के मानवाधिकारों की स्पष्ट व्याख्या रखी गयी है. इसमें युद्ध क्षेत्र में घायलों की देख-रेख और आम नागरिकों की सुरक्षा के नियम भी बनाये गए हैं. अनुच्छेद 3 के मुताबिक घायल युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार किया जाना चाहिए.
उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. उन्हें किसी भी तरह के भेदभाव का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए.
जरूरत पड़ने पर सैनिक को कानूनी सुविधा भी मुहैया करायी जानी चाहिए. युद्धबंदियों को टॉर्चर नहीं किया जा सकता. उन्हें डराया-धमकाया या अपमानित नहीं किया जा सकता. इस संधि में युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने का प्रावधान दिया गया है. इसके अनुसार युद्ध के बाद युद्धबंदियों को ससम्मान उसके मुल्क को वापस लौटाना होता है. युद्धबंदियों से सिर्फ उनकी सैन्य पहचान के बारे में पूछताछ की जा सकती है. उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.
जिनेवा संधि से जुड़ी मुख्य बातें (Geneva Convention Rules)
बंदी बना लिए जाने के तत्काल बाद उस पर ये संधि लागू होती है.
घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है.
भोजन और दैनिक जरूरत की सभी चीजें दी जाती है.
युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता.
युद्धबंदी को डराया-धमकाया या टॉर्चर नहीं किया जा सकता.
युद्धबंदी से जाति, धर्म आदि व्यक्तिगत बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…
सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…