कुमाऊनी और गढ़वाली के शब्द जिनसे हिन्दी और निखरेगी

दुर्भाग्य से हिन्दी बोलियों को अछूत मानती है. बोलियों में ऐसे अर्थ पूर्ण शब्द है कि हिन्दी का उधर ध्यान ही नहीं है. पहाड़ी में ऐसे हजारों शब्द हैं जिनके प्रयोग से हिन्दी विभिन्न अर्थ छवियों को अभिव्यक्त कर सकती है. हिन्दी को अपने ही क्षेत्र की बोलियों की शब्द संपदा का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए और उनके साहित्य को प्रोत्साहन देते रहना चाहिये. यहां कुछ कुमाऊनी और गढ़वाली के शब्द हैं जिन्हें हिन्दी में जरुर शामिल किया जाना चाहिये-
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

खुद, नराई – किसी प्रियजन की समृति में होने वाली वेदना, गृह विरह, उत्कंठा

कलकली – किसी क्रूरतापूर्ण दृश्य को देखकर उपजी कोमल करूण भावना

गाणी – गणना, मोहक कल्पना

चस्सो/झास – कंपा देने वाली ठंड, चचकार भी

छमोट – पानी पीने के लिए दोनों हाथों को मिलाकर बनाई गई अंजलि

झुसमुस – उषाकाल जब प्रकाश की अपेक्षा अंधेरा ज्यादा हो

तुंगार – स्वाद बदलने के लिए शराब आदि के साथ खाया जाने वाला चबेना

डाँडी, काँठी –  पर्वत शिखर

टुणामुणी – मामूली आपसी बोलचाल और मनमुटाव

दुत्ती – बातूनी स्त्री

दारी – वाचाल स्त्री

पाखो – पहाड़ का एक हिस्सा

पत्यूड़ – पत्ते से बना पकवान

बाडुली – किसी के स्मरण किए जाने पर आने वाली हिचकी

पराज – किसी के याद किए जाने पर पैर के तलुवे में होने वाली खाज

रौली – नदी के तट की घाटी

लमॅडर – आलसी
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

लैर – मन की मौज, गुस्से की लहर

जोड़ीदार – साथी

समलौण – स्मृति दिलाने वाली वस्तु या भेंट

उबाणो – जो भीगा न हो

उद्वान – प्रा० उब्बान

अन्वार – अनुहार, मिलती-जुलती शक्ल

ओडो – दो खेतों के बीच सीमा का पत्थर या चिन्ह

कतमत – अधैर्य, किसी को जल्दी करने की हरकत

काकर – अंतच्छद, सीलिंग

क्वाँसो – कुआँसा कोमल

क्यूँकालि – कच्ची अरबी खाने का कारण गले या जीभ में होने वाला प्रदाह

खुलपत – प्रसन्नता की उच्चतर स्थिति

गलखा – कोमल ग्रास

गद्यर – नाला

गाड़ – छोटी नदी

गेल्या – साथी दगड्या

चकडैत – चालबाज

चिरोड़ा – रेखा खरोच

चाँट – वैर

चै – चय, एक के ऊपर एक चीजों का ढेर
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

छूड़ा – बिना साग का

छोप – से अना, छत्रछाया में रखना

छौंपणू- भागते हुए को दौड़कर पकड़ना

झसाक – किसी अंग का मुड़ने या मोच आने की चुभन सी पीड़ा

झूरजू – दुखी महसूस करना

झोल, टपकारा – किसी सुस्वाद भोजन को देखकर चटखारे लेना

टापी – बार-बार की प्यास

टपराणू – चकित या खोजती नजरों से इधर-उधर देखना

ठूणो – लड़ने का झूठा बहाना

डाम – गर्म लोहे से किसी के शरीर को आहत करना

ढब – अभ्यास, विशेष या पक्की आदत)

ठास – अनजाने किसी पर छूने से लगा धक्का)

ढाँट – अविवाहित और इधर-उधर फिरने वाला पुरूष

ढाँटी – रोमांस में स्वच्छंद लड़की

धार – पहाड़ की पैनी श्रेणी

नाठ – वह जायजाद जिसका कोई वारिस न हो

पठाल – लम्बी चौड़ी सिल

पवाँण – किसी चीज का प्रारम्भ

पैतो – अगवानी के रूप में रखी प्रस्थान सूचक वस्तु

भुक्कि – चुबन

भौण – लय

मंडाण – एक खुला मंच जहां लोग देवपूजन या किसी समारोह में एकत्र होते हैं

सुर्की – चुपके, अनदेखे

सैण- समतल भूमि जो पहाड़ों पर हो, सौड़

हिंगरी – बच्चे का आक्रोश में निरन्तर रोना

फारू – बरकत

भुला – छोटा भाई

दिदा – बड़ा भाई

लंकट/खंकल – बदमाश

स्वीली – जच्चा प्रसवा

भगार – दूसरे का झूठा आरोप लगाना

टिपोड़ – दंभ, अकड़

सगाई – लगातार कई दिनों तक होने वाली वर्षा

कलचाण – स्वाद रहित

उचमुची – बेचैनी अस्थिरता

रणमणी – उन्मन भाव

रूम्क – सॉझ

ईड़ – जिद के साथ इच्छा

बिटमणू – बुरा-भला कहना

रॅड़ – तीव्र इच्छा

बगछट्ट – अत्याधिक उल्लास

चाड – जरूरत

चलचलो – कांतियुक्त, टकटको

जलका – अंधेरे में किसी चीज को खोजना पकड़ना

बिलकणू – पकड़कर झपटना

मौल्यार – वृक्षों का मुकुलित होने की क्रिया

बबराट – दद

चुचा, लठयालो – संबोधन के रूप

खुचणु – पशु का बंधन से मुक्त होना

ख्वर – भाग्य, माथा

हरगण – अहर्गण

छव – भूत-प्रेत

आंठू – मन 5 में ग्रंथि बनना

फणको – छोटी बात पर गुस्सा करना

सोडणू – नली से हुक्के के धुर्वे को अन्दर लेना

धोप-लगौणू – वर्तन पर मुंह लगाकर पानी पीना

सुतबीजो – अर्द्ध सुप्त

साँटो- विनियम

खुरखुरी – बदला लेनेकी आतुरता

छपछपी – हृदय पर ठंड पड़ना

कोचणू – किसी छोटे छेद पर कोई नुकीली चीज घुसाना

फदौणू – किसी को झूठ बोलकर पराजित करना

खणके – अकारण

सपोड़णू – किसी द्रवयुक्त अन्न को बिना चबाए खाना

खटौणू – पानी को किसी दिशा विशेष की ओर मोड़ना

कूल – कूल्या

पूगणू – पूरा पड़ना

रीटणू – वृत में घूमना

कोरणू – किसी सब्जी को कदूकस करना

टीसी – ईर्ष्यावश कार्य को स्वयं न कर दूसरे के द्वारा किए जाने की भावना

बटगार – अच्छे सुस्वाद भोजन की इच्छा में सामान्य भोजन को बुरा-भला कहना

चोप – पौधों से निकलने वाला दूध

चचकार – ठिठाती ठंड

टेड – उबले अन्न का कण

पगार – खेत का पश्ता
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

पैणो – प्रर्दशन उपहार

साणो – सनयन

निर्मासी – मांस न खाने वाला

ढाँटू – स्त्रियों द्वारा सिर पर बांधा गया रूमाल

ढाँगो – बूढ़ा बैल

ठुलो/ठुली – उम्र में बड़ा/बड़ी-ऐल्डर

स्याणी – दोहद जैसी कुछ विशेष खाने की तीव्र इच्छा

उज्याड़ – सुरक्षित खेती में पशु द्वारा मुंह मारना

बुजाडू – किसी छेद को बन्द करने के लिए प्रयुक्त डाट

सोडणू – किसी द्रव को किसी नली से मुंह में ऊपर सांस लेते हुए पीना

कोरणू – कोरे से ककड़ी आदि के बारीक छल्ले निकालना

फफक्याणू – हकलाना

बैंडणू – हलवा घोटना

पुड्योण – किसी घक्के या घुसेड़ने से रास्ता बनाना

धचोरणू – किसी छेद में लकड़ी डालना
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

कोचणू – घुसाना

भीड़णू – छूत करना

कुतगौणू – भगाना

रडणू – फिसलना

पतेड़णू – दो चीजों के बीच पिचकाना

बुथ्यौणू – रोते को मनाना

टीपणू – गिरी वस्तु को हाथ में उठाना

छपोड्यू – पछाड़ना

बुकौणू – किसी चबेना को चबाना

बूजणू – किसी छेद को बन्द करना

पुडूयोणू – बलपूर्वक जगह बनाना

लौखणू – लपकना

नेड्योणू – इकट्ठा करना

ब्याणू – बच्चा जनना

लोचणू – लुंचन
(Garhwali Kumaoni Dictionary)

डॉ. गोविन्द चातक

डॉ. गोविन्द चातक का यह लेख पुरवासी पत्रिका के 1999 के अंक से साभार लिया गया है.

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