समुद्रतल से लगभग 1,760 किमी की ऊंचाई पर स्थित गंगोलीहाट का नाम तो सभी ने सुना होगा. रामगंगा और सरयू के बीच में बसे गंगोलीहाट का नाम ही इन दो नदियों के कारण गंगोलीहाट है.
सरयू और रामगंगा के बीच में स्थित होने के कारण इस क्षेत्र का पुराना नाम गंगावली है. उत्तराखंड में पवित्र नदियों के लिए स्थानीय रुप से गंग शब्द का प्रयोग किया जाता है आवली का अर्थ एक माला से है. इन दोनों को मिलाकर ही गंगावली शब्द बना है. गंगावली का अपभ्रंश ही गंगोली है. हाट का अर्थ बाजार से है. इस तरह गंगोलीहाट शब्द बना हुआ है.
तेरहवीं सदी से पहले यहां कत्युरों का शासन था बाद में मनकोटी राजाओं का शासन हुआ. कुमाऊं के चंद राजा बालो कल्याण चंद ने सोलहवीं शताब्दी में मनकोटी राजाओं की राजधानी मनकोट पर हमला किया और गंगोली को अपने राज्य का हिस्सा बना दिया.
अंग्रेजों के कार्यकाल में यह अल्मोड़ा जिले का एक परगना बना. पिथौरागढ़ जिला बनने के बाद यह एक तहसीन बना. वर्तमान में इसे एक जिला बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से चल रही है.
गंगोलीहाट उत्तराखंड के उन चंद हिस्सों में से है जहां कृषि संबंधी अपार संभावनाएं हैं. यहां के कई स्थानीय ग्रामीण फल,सब्जी इत्यादि के उत्पादन से अपनी आजीविका भी चलाते हैं.
इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में अनेक गुफा मंदिर जैसे पाताल भुवनेश्वर, मुक्तेश्वर, शैलेश्वर भी हैं. यहां काली प्रसिद्ध शक्तिपीठ भी है. तेरहवीं शताब्दी में कत्यूरी शासक रामचंद्र देव द्वारा अपनी मां की याद में बनाया गया जाह्नवी का नौला, एक अन्य आकर्षण का केंद्र है.
हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने गंगोलीहाट स्थित विष्णु मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया. यह विष्णु मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है. विष्णु के गर्भगृह में कृष्ण व बलराम की प्रतिमाएं हैं. यह उत्तराखंड का एक मात्र मंदिर है जहां कृष्ण व बलराम की स्वतंत्र प्रतिमाएं हैं.
गंगोलीहाट की पिथौरागढ़ मुख्यालय से दूरी लगभग 78 किमी है. काठगोदाम रेलवे स्टेशन से यह लगभग दो सौ किमी की दूरी पर है.
– काफल ट्री डेस्क
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