दुर्गम और बीहड़ गांव में भाई-बहन रहा करते थे. उन दोनों का और कोई नहीं था. बस किसी तरह गुजर-बसर हो रही थी. फिर वह दिन भी आया जब बहन की शादी हो गयी. भाई अकेला रह गया तो उसकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गयीं. खेती-बाड़ी में कुछ हो नहीं पा रहा था. अक्सर उसे पक्षियों को मारकर व नदी में मच्छी, केंकड़े मारकर पेट की भूख शांत करनी पड़ती थी. गांव के लोगों को तरह-तरह के पकवान खाते देख उसकी भी इच्छा होती कि अच्छा खाना खाए. अब रोज कौन किसी को खाना देता है, त्यौहार में तो गांव वाले कुछ खिला भी देते, उसके बाद फिर वही दुर्दिन. एक दिन उसके मन में आया कि कुछ दिन के लिए बहन के घर चला जाए, कम से कम अच्छा खाना तो नसीब होगा. (Folklore of Uttarakhand Bhaai Bahan)
वह चल पड़ा तेरह कोस दूर अपनी बहन के घर. कितने जातां करने के बाद वहां पहुंच ही गया. उसे देखकर बहन ने पूछा — मेरे लिए कुछ भेंट भी लाया या खाली हाथ ही आ गया. वह बोला बहन मेरे तो खुद के भुखमरी के हाल हो रखे हैं. मैं तो यहां ये सोच कर ही आया हूं कि कुछ दिन ढंग से खा-पी लूँगा. जैसा भी खाना-रहना होगा मैं उसी में खुश रहा करुंगा.
उसकी बात सुनने के बाद बहन बोली — धेली के पास कोने में रहना पड़ेगा, मडुवे की रोटी और सिसुण का कापा खाने को मिलेगा, ओढ़ने को धोती की खातड़ी. काम काज में होगी गलती तो झाड़ू की मार भी पड़ेगी, क्या ऐसे में तू रह पायेगा? वह खुशी-खुशी राजी हो गया. दिन भर गाय-बकरियों का ग्वाला करता, खेती-पाती का काज करता, रुखी-सूखी जैसी मिलती खुशी से खा लेता. फिर भी बहन बात-बात में ताना क्या मारती लकड़ी जैसी तोड़ती थी. दुखी मन से वह एक दिन वहां से निकल पड़ा, जाना कहाँ है मालूम न था.
चलते-चलते जब वह घने जंगल के बीच से गुजर रहा था तो देखता है मालू के पत्तों से बने बड़े-बड़े दोनों में दूध रखा हुआ है और आसपास कोई है नहीं. भूख के मारे उसने सारा दूध पी लिया. अब उसे भय सताने लगा कि दूध का मालिक उका क्या हाल करता है. तभी उसने देखा दूर कुछ गाय घास चर रही है. उसने सोचा जितने दोनों का दूध पिया था उतने घास के गट्ठर काट कर रख दूँ तो शायद दूध के मालिक के कोपभाजन से बच जाऊं. उसने फटाफट ताज़ी घास के गट्ठर काट कर रख दिए और खुद एक चट्टान के पीछे छिप गया. जब गाय वहां पहुंची तो घास के गट्ठर देख कर आश्चर्य से भर गयीं. रानी गाय बोली — ऐसा किसाण ग्वाला जो हमें मिल जाता तो हम कितना तो दूध पिला देते उसे. यह सुनकर वह चट्टान के पीछे से बाहर आ गया. उसने गायों से कहा — तुन रोज मुझे दूध पिला दो तो मैं भी इसी तरह खूब सारी ताज़ी घास काट कर रख दिया करुंगा. साथ में तुम्हें नहलाना-धुलाना और गोठ-गुठ्यार की साफ-सफाई भी कर दूंगा. सब गायों ने राजी-खुशी उसे अपना ग्वाला बना लिया.
गायों की सेवा टहल करने से अब उसके पास दूध की तो कमी रही नहीं. वह दूध और दही बेच कर खूब सारा पैसा भी कमाने लगा. निर्धनता का समय बीत गया और उसके पास खूब सारा धन आने लगा. कुछ समय बाद उसकी सम्पन्नता देख कर उसे सुयोग्य वधू भी मिल गयी और उसने ब्याह कर लिया.
उसके बड़ा व्योपारी बन जाने की बात उसकी बहन के कानों में भी पड़ गयी. वह भी अपने भाई से मिलने उसके घर पहुंची.
भाई ने उसके आने की बहुत खुशी जाहिर की. उसे हर सुविधा दी. वह एक महीने तक पूरे ठाठ-बाट के साथ रही. जाते हुए भी भाई ने खूब बढ़िया कपड़े और भेंट देकर उसे विदा किया. बहन के अनुरोध करने पर भाई ने उसकी पसंद की एक गाय भी उसे भेंट कर दी. भेंट की गई गाय के गले में उसने एक घंटी बनवा कर बाँध दी. घंटी में उसने वो सब बातें भरवा दीं जो बहन के घर पहुँचने पर उस से कही गयी थीं.
घंटी के भीतर के हिस्से को उसने गत्ते से लपेट दिया. रास्ते में जब गाय के चलने से गत्ता गिर गया तो घंटे बजते हुए बोलने लगी — धेली के पास कोने में रहना पड़ेगा, मडुवे की रोटी और सिसुण का कापा खाने को मिलेगा, ओढ़ने को धोती की खातड़ी. काम काज में होगी गलती तो झाड़ू की मार भी पड़ेगी, क्या ऐसे में तू रह पायेगा? इन बातों को सुन कर बहन को बहुत ग्लानि हुई और उसने दांतों के बीच जीभ काटकर अपने प्राण त्याग दिए.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…