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ग्राम तिदांग के ह्या छूङ सै की कहानी

ग्राम तिदांग के ह्या रंचिम का युग व सिम कच्यरो पैं के युग की समाप्ति के बाद ह्या छूङ सै का जमाना आता है जो इस प्रकार है.

ह्या छूङ सै अपने निवास स्थान किदांग तकलाकोट तिब्बत से आसपास के रास्ते से सैर सपाटे (घूमते-घामते) तिदांग पहुंचता है. छूङ सै तिदांग में अपना निवास स्थान बनाने का निश्चय कर लेता है. लेकिन तिदांग का सम्पूर्ण मैदानी भूमि दल-दल (गिला) बना हुआ था ह्या छूङ ने अपनी मंत्र तंत्र द्वारा इस दल दल भूमि के बारे में जाना जाता है कि इस दल दल भूमि में जो एक बड़ा सा पत्थर (ला) है. उस बड़े भारी पत्थर के अन्दर एक खोबू (नाग) रहता है जिसकी तासीर (ताप) से सारा तिदांग की मैदानी भूमि दल-दल बन गयी है. (ऐसी भूमि जो ज्या कहते हैं) इस खोबू को समाप्त करने के लिए ह्या छूङ सै चिड़िया (गरूड़) का रूप धारण करता है और खोबू को बाहर निकाल कर मार देता है. उस मरे हुए नाग को अपनी चोंच से पकड़ कर ग्राम सीपू दौगा खर्सा से गांव-गांव घूमा कर आसमान के रास्ते से सेला, कुटी, ब्यांस व ज्योलिकांग होते हुए तिब्बत पहुंचा कर दफना देता है. जब ह्या छूङ सै वापस तिदांग पहुंचता है तो तिदांग की मैदानी भूमि जो दल-दल (ज्या) था सूख चूका था और हरा भरा मैदान दिखाई देने लगा तथा जिस-जिस जगह पर मरे हुए खोबू का मांस-खून गिरा वहां पर दल-दल (ज्या) भूमि बन गया था जो आज के समय में भी है.

उसी समय में ह्या छूङ सै ने तिदांग में अपना निवास स्थान बना लिया. इसी युग में बौन ग्राम में एक शक्तिशाली पुरुष ह्वा लाटो रहता था. ह्वा लाटो ने एक समय मल्ला दारमा के समस्त देवी देवताओं को मनुष्य द्वारा पूजा पाठ देना बन्द करवा देता है. जिससे सारे देवता परेशान हो जाते हैं. इस समस्या जो ह्वा लाटो ने देवताओं को दरकिनार किया है उसे हल करने के लिए दांतू के ह्या गबला ने अपने निवास स्थान में एक सभा आहूत की. दारमा के सभी देवी देवताओं को निमन्त्रण देता है सभी देवतागण निमन्त्रण मिलते ही दांतू (दातो) ह्या गबला के निवास स्थान में उपस्थित हो जाते हैं.

तिदांग से ह्या छूङ सै भी अपने तिब्बती पहनावा कर एक टट्टू घोड़ा में सवार होकर सभा में विराजमान थे. किसी देवी-देवता ने ना ही हयसा गबला ने ह्या छूङ सै को सभा में बैठने को कहा. ह्या छूङ सै कुछ दूरी में बैठ कर सुस्ताने लगता है. घोड़े के त्यागा (काठी) से च्यामा (आग प्रज्जवलित करने का साधन) रगड़ कर आग पैदा करता है. टोपू (हुक्का) में तम्बाकू डालकर व आग से जला कर पीता है तथा प्यास बुझाने के लिए अपने हाथ मुट्ठी बांध कर जमीन धरती में मारता है वहां से पानी निकल आता है. ह्या छूङ सै पानी पी कर अपनी प्यास बुझाता है. सभी देवी-देवतागण इस नजारे को देख कर अचम्भे में पड़ जाते हैं कि जरूर ह्या छूङ सै में बहुत बड़ी देवी शक्ति है और ह्या छूङ सै को सभा में जगह खाली करके बैठने को कहते हैं. लेकिन ह्या छूङ सै कहता है मैं अपनी जगह पर ठीक हूं आप लोग अपनी सभा शुरू कीजिये. सभा में ह्बालाटो प्रस्ताव रखा जाता है कि बौन के ह्बा लाटो ने हम सभी देवी-देवताओं को पूजा-पाठ देना बन्द कर दिया है. इस समस्या को हल करना है. ह्या गबला हर एक देवी-देवताओं से पूछता है कि किसी के पास समस्या हल करने का उपाय है तो बताये. इस पर सभी देवी-देवतागण असमर्थ होकर अपना सिर नीचे कर लेते हैं. आखिर में ह्या छूङ सै को पूछा जाता है सिर हिला कर ह्या छूङ सै न हां भर दिया. इसके बाद ही होला दम्फू ने भी हाथ खड़ा करके हामी भरा. दम्फू से पूछा जाता है कि तुमने हां किस लिये किया. दम्फू सै उत्तर देता है हे कि ह्या छूङ सै मेरा मामा है. समस्या हल करने में जो कार्य मुझे सुपुर्द करेगा वह मैं करूँगा. सभा विसर्जन हो जाता है और देवी-देवतागण अपने-अपने निवास स्थान को चले जाते हैं. ह्या छूङ सै अपने टट्टू घोड़े में सवार होकर तिदांग के लिये रवाना होता है. जब गिलीङ ढाकर के मैदान में अपने घोड़े को दौड़ाता है वहां आधी तूफान ह्या छूङ सै की टेड़ी टोपी तक हिला नहीं सके. तभी ह्या गबला को विश्वास हो जाता है कि ह्या छूङ सै के पास बहुत बड़ी देव शक्ति है और समस्या हल करके दिखायेगा.

उस जमाने में तिब्बत से तिब्बती लोग अपने भेड़ बकरियों में नमक सुहागा लाकर दारमा में व्यापार के लिये आते थे और आपस में मित्रता रखा करते थे. बौन के ह्बालाटो को भी तिब्बती व्यापारियों से मित्रता थी.

तिदांग ह्या छुङ सै ने यही रास्ता अपने मंत्र के बल पर तिब्बत चन (भूत) का आह्वान करता है और उसे हिदायत देता है कि तुम अपने कुछ साथियों को लेकर सैकड़ों भेड़ बकरियों के साथ तिदांग गो से आगे रोतो रामा के मैदान में प्रकट होना है. सही समय व मौसम देख कर आसमान में बर्फ बरसा कर लिंकम दांग व गोंती को बीच का पहाड़ी रास्ता बन्द हो जाता है तथा रामा, गौतो दांग के मैदान में चन (तिब्बती भूतों) को मनुष्य के रूप में सैकडों भेड़-बकरियों के साथ प्रगट कराके अपने भान्जे होला दम्फू सै को यह कह कर बौन ह्बा लाटो के पास भेजता है कि तुम्हारे तिब्बती मित्रगण अपने सैंकड़ों भेड़-बकरियों के साथ रामा व गोतो के मैदान में डेरा लगाकर बैठे हैं और तुम्हें जल्दी मिलने के लिये बुला रहे हैं.

होला दम्फू सै बौन जाकर ह्बा लाटो को सन्देश देता है कि हे ह्बा लाटो तुम्हारे तिब्बती मित्र सैंकड़ों भेड़-बकरियों के साथ रामा, गोतों दार के मैदान में डेरा लगाकर बैठे हैं और तुम्हें जल्दी मिलने आने के लिए कहा है. इस पर ह्बा लाटो जल्दी-जल्दी में अपने मित्रों से मिलने के लिए अपने निवास स्थान से रवाना हो जाता है. जब लिंकम दौग पहुंचता है तो गौतो व लिंकम दौग के पहाड़ी रास्ता बर्फ से ढका पड़ा दिखाई देता है. आगे जाने के लिए बर्फ में डूबने तथा फिसलने का डर था तभी ह्बा लाटो अपने जेब से सरसों का दाना निकाल कर आगे को फेंकता है. दाना फेंकते ही पत्थर बन जाता है. उन्हीं पत्थरों में छलांग मारता है इन्हीं सरसों के दाने के सहारे आगे बढ़ते जाता है जब आधा रास्ता तय कर लेता है सरसों का दाने खत्म हो जाते हैं. ह्बा लाटो का आगे जाना मुश्किल के साथ पीठ पीछे के पत्थर भी गायब हो जाता है. उसी समय ऊपर पहाड़ से बर्फ का तूफान आता है और ह्बा लाटो को उड़ा कर नीचे नदी किनारे पहुंचा कर दफना देता है. इस प्रकार ह्बा लाटो का अन्त हो जाता है. जिस जगह पर ह्बा लाटो का शरीर दब गया था वहां पर सफेद बहुत बड़ा टीला बन कर खड़ा है, जो अभी भी विराजमान है.

ह्बा लाटो की समाप्ति के बाद इलाके के सभी देवी देवतओं को मनुष्य द्वारा पाठ पूजा मिलना शुरू हो गया.

अमटीकर 2012, दारमा विशेषांक से साभार. यह लेख विजय सिंह तितियाल द्वारा लिखा गया है.

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Sudhir Kumar

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