कहते हैं काली नदी के किनारे के घने जंगल में एक आलसी सियार और उसका परिवार रहता था. जंगल की ओट में कभी इधर कभी उधर रहने वाले उसके परिवार में एक पत्नी और दो बच्चे हुआ करते थे. शादी के बाद से ही सियार की पत्नी उसे किसी बड़े उड्यार का इंतजाम करने को कहा करती पर आलसी सियार हमेशा उसे बहला-फुसला लेता.
(Folk Stories of Kumaun)
अबकी बार जब सियार की पत्नी पेट से थी तो वह सियार से किसी बड़े उड्यार के इंतजाम की मांग पर अड़ गयी और उसने खाना पीना छोड़ दिया. पहले-दुसरे दिन तो सियार हमेशा की तरह सुबह जंगल निकल जाता और हमेशा की तरह मौज काट कर लौट आता.
तीसरे दिन जब उसने देखा पत्नी की हालत तो भूख से ख़राब होने लगी है तो उसने जंगल में उड्यार की खोज शुरू की. किस्मत से चौथे दिन की शाम तक उसे बहुत बड़ा उड्यार मिल गया. लेकिन उसके साथ दिक्कत यह थी की उसपर एक बाघ का कब्ज़ा था.
सियार ख़ुशी ख़ुशी घर लौटा और अपनी पत्नी को बताया कि कल से हम सभी एक बड़े उड्यार में रहने लगेंगे. पत्नी ने ख़ुश होकर खाना खा लिया. अगले दिन सूरज चढ़ने के साथ सियार और उसका परिवार उड्यार के सामने थे. बाघ शिकार करने जंगल की ओर निकला था सो इस समय उड्यार एकदम खाली था.
(Folk Stories of Kumaun)
सियार अपनी पत्नी और बच्चों को उड्यार के अंदर ले गया और अपनी पत्नी से कहा जब वह उसे इशारा करे तो वह बच्चों को रुलाये और जब बाहर से वह पूछे कि बच्चे क्यों रो रहे हैं तो कहना, उन्हें बाघ का ताजा मांस चाहिये, वो उसके मारे हुये कल के बाघ का बासी मांस नहीं खा रहे हैं.
इतना कहकर वह उड्यार के सामने बैठ गया. सूरज ढलने पर जब बाघ लौटा और उसने अपने उड्यार के बाहर सियार को बैठा देखा तो उसे बड़ा गुस्सा आया. वह जोर आवाज कर उस पर हमला करने को होता है कि तभी उड्यार से सियार के बच्चों की जोर-जोर से रोने की आवाज आने लगती है. सियार मुड़कर अपनी पत्नी को आव़ाज लगाता है और पूछता है – ये बच्चे इतनी जोर जोर से क्यों रो रहे हैं?
(Folk Stories of Kumaun)
सियार की पत्नी भीतर से जोर से जवाब देती है – इन्हें ताजा मांस चाहिये. कल जिस बाघ को मारकर आप मांस लाये थे वो अब बासी हो चुका है इसलिये ये अब उसे नहीं खा रहे हैं और बाघ के ताजे मांस की मांग कर रहे हैं. बाघ ने जब यह बात सुनी तो डर के मारे उल्टे पाँव जंगल की ओर भागा और फिर कभी नहीं लौटा.
(Folk Stories of Kumaun)
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…