पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का निधन हो गया. ऋषिकेश एम्स के कोविड आईसीयू वार्ड में भर्ती सुन्दरलाल बहुगुणा के फेफड़ों में संक्रमण पाया गया था. पिछले कुछ दिनों से उनका इलाज ऋषिकेश ईएमएस में ही किया जा रहा था.
(Environmentalist Sundar Lal Bahuguna passed away)
सुंदर लाल बहुगुणा के पिता का नाम अम्बादत्त बहुगुणा और माता का नाम पूर्णादेवी था. दोनों ही मां गंगा के भक्त थे इसलिए सुंदरलाल बहुगुणा का उनके माता पिता द्वारा रखा नाम गंगा राम रखा था. इससे पहले दोनों ने अपनी एक बेटी का नाम भी गंगा देवी रखा था. एकबार पूर्णादेवी के भाई उनके घर आये और प्यार से अपनी भांजी गंगा को बुलाया तो घर से भांजा-भांजी दोनों बाहर निकल आये. यह तो रोज की बात हो गयी कि बेटे गंगा को बुलाओ तो बेटी गंगा आ जाये और बेटी गंगा को बुलाया जाय तो बेटा गंगा आ जाये. समस्या से निपटने के लिये मामा ने परिवार में सबसे छोटे बच्चे को नाम दिया ‘सुन्दरलाल’.
(Environmentalist Sundar Lal Bahuguna passed away)
लाहौर में सुन्दरलाल बहुगुणा ने सनातन धर्म कॉलेज से बी.ए. की पढ़ाई की.लाहौर में टिहरी गढ़वाल के रहने वाले लोगों ने ‘प्रजामंडल’ की एक शाखा बनाई थी जिसमें सुन्दरलाल बहुगुणा ने सक्रिय रूप से भागीदारी की. 1947 लाहौर में बी.ए की परीक्षा पासकर सुन्दरलाल बहुगुणा टिहरी वापस लौट आये.
सुन्दरलाल बहुगुणा ने पर्यावरण को लेकर उत्तराखण्ड में चल रहे चिपको आन्दोलन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया. ‘चिपको आन्दोलन’ के कारण वे विश्वभर में ‘वृक्षमित्र’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए. बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है ‘क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार. मिट्टी, पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार’.
सुन्दरलाल बहुगुणा को सन 1981 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया. सुन्दरलाल बहुगुणा ने यह कह कर इस पुरुस्कार को स्वीकार नहीं किया कि “जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ.”
(Environmentalist Sundar Lal Bahuguna passed away)
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