Featured

देहरादून में लुप्तप्राय एवं अल्पज्ञात भाषाओं का आठवां सेमिनार

दून लाइब्रेरी एवं रिसर्च सेंटर तथा लखनऊ स्थित सोसायटी फॉर एंडेंजर्ड लैंग्वेजेज के सहयोग से  लुप्तप्राय एवं अल्पज्ञात भाषाओं (ELKL-8) के आठवें सेमिनार का आयोजन दून लाइब्रेरी एवं रिसर्च सेंटर तथा लखनऊ में स्थित सोसायटी फॉर एंडेंजर्ड लैंग्वेजेज (सेल) के सहयोग से सोंग्स्टन पुस्तकालय, देहरादून में हो रहा है. Eighth Seminar of Endangered Languages

दूसरे दिन के प्रथम सत्र में तीन शोध पत्रों को पढ़ा गया. कुमारी ममता ने हिमालय क्षेत्र में बोली जा रही कुमाऊनी, गढ़वाली, जाड़ आदि भाषाओं के संख्या सूचक शब्दावली की संरचना और निर्माण के विश्लेषण पर एक बहुत वैज्ञानिक शोध प्रपत्र प्रस्तुत किया.

नेपाल से आये प्रोफेसर माधव पोखरियाल ने नेपाल में बोली जा रही 66 अलिखित भाषाओं की लिपि व्यवस्था का विकास किया है जिनमें से 35 कृतियों का प्रयोग उस समुदाय के लोगों द्वारा किया जा रहा है.

प्रोफेसर पोखरियाल ने इस कार्य में आने वाली समस्याओं के साथ-साथ उनके समाधान पर भी प्रकाश डाला. इस सत्र के अंत में यूरोप से आई डॉक्टर ताशी ने तिब्बती संस्कृति एवं साहित्य की चर्चा की.

दून लाइब्रेरी एवं रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित राजी-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोष तथा लैंग्वेज इनडेंजरमेंट एंड रिवाइटलाइजेशन नामक दो पुस्तकों का अनावरण इस सत्र की मुख्य विशेषता रही.

यह शब्दकोष उत्तराखंड के पिथौरागढ़ अंचल में रहने वाली राजी जनजाति की भाषा पर बनाया गया है. दूसरी किताब में दूर लाइब्रेरी द्वारा 2018 में अल्मोड़ा में आयोजित सेमिनार में प्रस्तुत पत्रों का संकलन किया गया है, जो हिमालय क्षेत्र में बोली जा रही भाषा तथा बोलियों के संरचना पर प्रकाश डालते हैं. Eighth Seminar of Endangered Languages

इस कार्यक्रम में दून लाइब्रेरी के निदेशक बी. के. जोशी जी ने पुस्तकों के प्रकाशन में योगदान देने वाले अभिमन्यु गहलोत, दून पुस्तकालय के चंद्रशेखर तिवारी, सुंदर बिष्ट का आभार व्यक्त किया.

इस दौरान राजी शब्दकोष की लेखिका डॉ. कविता रस्तोगी, माधव पोखरियाल जी तथा दून लाइब्रेरी एण्ड रिसर्च सेंटर के निदेशक प्रोफेसर बीके जोशी,प्रोफेसर एम. पी. जोशी जी उपस्थित थे. आज दूसरे सत्र में 3 शोध पत्रों की प्रस्तुति हुई.

अजय कुमार सिंह एवं मनीष सिंह ने थारू भाषा पर, मुंबई से आई टोनिया ने पारोशी भाषा पर तथा कविता रस्तोगी जी ने राजी भाषा के पुनरुद्धार कार्यक्रम पर अपने विचार रखे. इसी के साथ सेमिनार के दूसरे दिन की का सत्रांत हो गया.

दून लाइब्रेरी के आनरेरी फेलो प्रो. एम. पी. जोशी, रिसर्च एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी, सुन्दर सिंह बिष्ट, गांधी वादी विचारक बीजू नेगी, लेखक शूरवीर सिंह रावत, पर्यावरणविद चंदन सिंह नेगी, प्रमोद भारतीय, अजय कुमार सिंह, अजीत चौधरी तथा सोंग्स्टन पुस्तकालय के निदेशक डॉ. ताशी सेम्फल आदि सहित अन्य  प्रतिभागी उपस्थित रहे. Eighth Seminar of Endangered Languages

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र, देहरादून द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

4 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

6 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

2 weeks ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago