आज आठ अप्रैल है. लॉक डाउन के प्लान के हिसाब से आज के बाद नए पॉज़िटिव केसेज़ आने की संख्या में गिरावट दर्ज की जानी चाहिए. मगर अब ऐसा होता लगता नहीं. पिछले दिनों कुछ लोगों की लापरवाही ख़तरनाक साबित होने वाली है. हालांकि भारत जैसे देश में गली-मुहल्ले-कस्बे-शहरों की भौगोलिक संरचना और जानकारी-शिक्षा-अंधविश्वास की सामाजिक संरचना के रहते सम्पूर्ण लॉक डाउन या सोशल डिस्टेंसिंग की कल्पना ही बेवकूफ़ी है फिर भी मोटे तौर पर विशेषज्ञों द्वारा जो सोचा गया वो कुछ ऐसा ही था. प्लानिंग और इम्प्लीमेंटिंग एजेंसीज के बीच किसी तरह का वैचारिक द्वैत, दूरी या द्वंद्व हो तो ऐसा होने की संभावना बढ़ जाती है. पहली चीज़ जो सबको सोचनी और करनी चाहिए थी वो सभी एजेंसीज को एक समान प्लेटफॉर्म पर लाने की होती. ख़ैर! वो हमारे आपके बस में नहीं. Corona Update and Further Precautions
इस एनालिसिस में दो ज़रूरी बातें और जोड़ दी जानी चाहिए. पहली, देश अभी रैंडम सैम्पल टेस्ट की स्टेज पर नहीं आया है. जहाँ तक जानकारी है अभी उन्हीं लोगों के टेस्ट ज़्यादा हो रहे हैं जिनमें बीमारी के लक्षण आ गए हैं या उनकी या परिवार के किसी सदस्य की कोई ट्रैवेल हिस्ट्री रही है. Corona Update and Further Precautions
दूसरी ज़्यादा ज़रूरी बात ये है कि ऐसे बहुत से लोग होने की संभावना है जिनमें संक्रमण होने के बाद भी बीमारी के लक्षण न दिखाई दें. ऐसे लोग अपने लिए तो नहीं दूसरों के लिए संक्रमण के कैरियर हो सकते हैं. अब दोनों बातों को जोड़कर देखिये. Corona Update and Further Precautions
ये जो डेटा दिख रहा है,कहना तो नहीं चाहता, और पुरजोर मनाता हूँ कि गलत साबित हो जाऊं, कहीं ये टिप ऑफ दि आइसबर्ग न साबित हो.
तो उपाय क्या है? पता नहीं. तापमान के बढ़ने से वायरस कमज़ोर पड़ने की आशा कर सकते हैं. या सरकार, विशेषज्ञ डॉक्टर्स और अन्य सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर्मियों का हौसला बढ़ा सकते हैं, उनका हाथ बंटा सकते हैं.
कैसे?
हिट व्हेयर इट हर्ट्स एंड पैट व्हेयर इट प्लीज़ेज़.
हिन्दू-मुस्लिम, अलाना-फलाना करने से स्थिति की विडंबना बढ़ाने के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं होगा. वैसे भी उस काम के लिये चैनल्स अपनी रोटी का हक़ अदा कर रहे हैं. Corona Update and Further Precautions
एक वल्नरेबिलिटी लिस्ट बनाते हैं. डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और हॉस्पिटल के सफाई और अन्य कर्मी फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस हैं. संक्रमण का ख़तरा सबसे ज़्यादा उन्हें है. मोस्ट वल्नरेबल. उनकी सुरक्षा के उपकरण सबसे ज़रूरी हैं. दूसरे चक्र में पुलिस कर्मी हैं जो दरअसल फर्स्ट रिस्पांडर हैं और संक्रमित व्यक्ति के सामने सबसे पहले पहुंचने वाले भी. बहुत वल्नरेबल. नहीं, वर्दी की गर्मी से वायरस नहीं मरता. उन्हें भी यथायुक्त सुरक्षा गियर चाहिए. तीसरे वल्नरेबल सेक्शन में आते हैं दिहाड़ी मजदूर, खोमचे-रिक्शे-ठेले वाले, छोटे दुकानदार, घरेलू सहायक आदि-आदि. ये इतनी लंबी लिस्ट है कि देश की बहुत बड़ी जनसंख्या खपा लेती है. इनकी वल्नरेबिलिटी बीमारी से नहीं भुखमरी से है. तन से मन से धन से आप अगर कुछ करना चाहते हैं तो बस इस क्रम को याद रखिये. Corona Update and Further Precautions
उच्च श्रेणी के सुरक्षा उपकरणों तक आपकी पहुंच नहीं है. लेकिन उन लोगों तक तो है जिनकी पहुंच यहाँ तक होनी चाहिए. आप दबाव बना सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं, सवाल पूछ सकते हैं. दूसरे और तीसरे नम्बर पर जो चीजें चाहिए बहुत हद तक आपकी पहुंच में है. कोशिश की जा सकती है. अच्छी बात ये है कि हो भी रही है.
हो सकता है 14-15 अप्रैल को लॉक डाउन हट जाए लेकिन हटे भी तो इस पोस्ट के दूसरे बिंदु और पुरानी पोस्ट (लिंक यह रहा: स्टे आइसोलेटेड, स्टे अनइंफेक्टेड, स्टे ब्लू : कोरोना वायरस से बचाव) के नीले डेट की याद रखियेगा. सोशल डिस्टेंसिंग काम-काज करते हुए भी की जा सकती है. अपनी सुरक्षा के लिए वो सारे उपाय बनाए रखिये जो आपको संक्रमण से दूर रख सकें. स्टे डिस्टेंट. स्टे सेफ.
–अमित श्रीवास्तव
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अमित श्रीवास्तव. उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. 6 जुलाई 1978 को जौनपुर में जन्मे अमित के गद्य की शैली की रवानगी बेहद आधुनिक और प्रयोगधर्मी है. उनकी तीन किताबें प्रकाशित हैं – बाहर मैं … मैं अन्दर (कविता) और पहला दखल (संस्मरण) और गहन है यह अन्धकारा (उपन्यास).
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