चैतोल कुमाऊँ मंडल में चैत्र नवरात्र में मनाया जाने वाला त्यौहार है. मुख्यतः पिथौरागढ़ की सोर घाटी, चम्पावत के गुमदेश में चैतोल बड़ी धूम से मनाया जाने वाला त्यौहार है. चैत्र नवरात्र की अष्टमी से चैतोल की तैयारियां शुरू हो जाती है जो चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन भव्य मेले के रूप में देखने को मिलती है.
(Chaitol Festival Kumaon Uttarakhand)
चैतोल के विषय में यह मान्यता है कि भगवान शिव के विभिन्न अवतार इन क्षेत्रों में अपनी बहिनों को भिटौली भेंटने आते हैं. भगवान शिव के अवतार गांवों में पहुंचकर स्वयं अपनी बहनों को भेंट देते हैं और सभी ग्रामीणों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इसी कारण इन क्षेत्रों में चैतोल के दिन गांव की बहु बेटियां अपने-अपने मायके जरुर आती हैं.
(Chaitol Festival Kumaon Uttarakhand)
इन क्षेत्रों के स्थानीय मंदिरों में लोकदेवता स्वयं मानव शरीर में अवतरित होकर लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं. कहा जाता है कि लोकदेवता के आशीर्वाद से फसल अच्छी होती है और प्राकृतिक आपदा का खतरा भी टल जाता है. चैतोल इन इलाकों का सबसे बड़ा और पवित्र त्यौहार माना जाता है.
आज और कल दो दिन पिथौरागढ़ और चम्पावत के क्षेत्रों में पूरे जोश और उमंग से चैतोल पर्व मनाया जायेगा. सोर घाटी में होने वाली चैतोल के विषय में यहां पढ़िये: चैतोल पर्व : लोकदेवता देवलसमेत द्वारा सोरघाटी के बाईस गांवों की यात्रा का वर्णन
(Chaitol Festival Kumaon Uttarakhand)
सोर घाटी में 2019 की चैतोल की तस्वीरें: प्रकृति के उपहार सोरघाटी में चैतोल पर्व की तस्वीरें
गुमदेश की चैतोल के विषय में विस्तृत जानकारी यहां पढ़ें: काली कुमाऊँ के गुमदेश की चैतोल
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