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तूने मारी एंट्रियाँ रे दिल में बजी घंटियाँ रे उर्फ़ एक उत्तराखंडी कल्चर फेस्टिवल की पहली झलकी

अल्मोड़ा में इन दिनों अल्मोड़ा फेस्टिवल चल रहा है. यह सभी जानते हैं कि हमारी सरकारें लम्बे समय से इस…

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पहाड़ और मेरा बचपन – 4

पिछली क़िस्त पहाड़ और मेरा बचपन – 3 गांव की और भी कई धुंधली यादें हैं. मसलन यह कि मैं…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 1

पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से…

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मेनस्ट्रीम सिनेमा का काम हमारी सामाजिक नींद को बरक़रार रखना है

डॉक्टर मोहन अगाशे एक कुशल अभिनेता हैं और साथ ही साथ मनोचिकित्सक भी. पूना में रहते हैं. 71 साल की…

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लोक कथा : ब्यौला मर जायेगा पर गांठा नहीं टूटेगा

छोटी दादी रंगत में थी बोली आओ रै छोरों आज तुम्हे ऐसे बामण की कथा लगाउंगी जो न्यूत के बुलाया…

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“साब सीएम तो तिवारीजी ही थे”

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री नारायण दत्त तिवारी नहीं रहे.…

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गुर्जी अगर सँभलोगे नहीं तो ऐसे गिर पड़ोगे – हलवाहे राम और लेक्चरार साब की नशीली दास्तान

दोनों में अटूट दोस्ती थी. कुछ ऐसी कि, लंबे समय तक इस दोस्ती ने खूब सुर्खियाँ बटोरी. दोनों के घर…

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आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था

21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया था. इस सरकार की स्थापना…

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इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : सातवीं क़िस्त

हिंदी में लुगदी, पेशेवर और श्रेष्ठ साहित्य का विभाजन   थोड़ा-सा चर्चित हो जाने के बाद हिंदी का लेखक बहुत…

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अल्मोड़े के हुक्का क्लब की रामलीला – फोटो निबन्ध

हुक्का क्लब 1930 से प्रतिवर्ष अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन करता आ रहा है. इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला के 2018…

6 years ago